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४. तेंतुलि गुम्फा:
उड़िया भाषा में इमली को तेंतुलि कहा जाता है । अत: अनुमान के आधार पर कहा जाता है कि इस गुम्फा के नजदीक कभी तेंतुलि का वृक्ष रहा होगा, इस लिए इस गुम्फा का तेंतुलि गुम्फा के नाम से जाना जाता है। यह गुम्फा दूसरी ततोवा गुम्फा के बांई ओर जाने पर प्राप्त होती है।
इस गुम्फा में एक लघु प्रकोष्ठ है। इसके सामने एक बरामदा है जो बेंच से युक्त है। इसके कमरे का फर्श पीछे से उठा हुआ है और इसकी छत की डिजाईन सामान्य अर्थात् कला रहित है। इस में प्रवेश करने के लिए दो प्रवेश द्वार हैं। इन में कोई पल्ला या किबाड़े नही है । घट के आधार पर स्थित बगल के स्तम्भों के किनारे से प्रवेश द्वार खुले हुए हैं। स्तम्भों के शीर्ष भाग हाथी और घंटी के आकार के उलटे कमलों से उत्कीर्णित किये गये है ।
बरामदा का भाग वहाँ स्थित चट्टानों से अवरुद्ध है। बरामदा के छत की डिजाइन समतल है । खम्भों और घनाकार स्तम्भों का पार्श्व भाग साधारण हैं, ब्रेकेट पर कमल की कली हाथ में लिये हुए नारी को चित्रित किया गया है। इस के अलावा एक हाथी भी चित्रित है, जो क्रीडारत है ।
५.
खंडगिरि गुम्फा:
यह एक सामान्य गुम्फा है। यह दो मंजिल वाली है। इसका बांया भाग आंशिक रूप से टूट गया है। इसका दाहिना भाग और छत सहित इसकी पीछे की दीवाल अनेक खंडों में खंडित हो जाने के कारण इसे खंडगिरि गुम्फा के नाम से जाना जाता है। इस में दो कमरे हैं, एक ऊपर और दूसरा नीचे है। इस गुम्फा के नीचे के कमरे की छत झुक गई है और फर्श उठा हुआ है। इस के सामने कोई बरामदा नहीं है।
इसकी ऊपरी मंजिल पर पहुँचना बहुत कठिन है। इस के कमरे की दीवाल पर स्वामी जगन्नाथ की रंगीन आकृति बनी हूइ है। इसकी छत आगे की ओर झुकी हुई और फर्श पीछे की ओर उठा हुआ है। इस गुंफा का कलादि की दृष्टि से कोई का महत्त्व नहीं है।
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