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ललाटेन्दु गुफा में उत्कीर्णित तीर्थंकर त्र-षभदेव और पार्श्वनाथ गुफा के अन्दर की पिछली और बांयी ओर के कमरे की बाँयी दीवाल पर पांच मूर्तियां है। उन में से दो तीर्थंकर त्र-षभनाथ की तीन पार्श्वनाथ की कायोत्सर्ग अवस्था में खड़ी मूर्तियाँ विद्यमान है।
इसी प्रकार दाहिनी ओर के कमरे में भी ३ मूर्तियाँ हैं। उन में से दो पार्श्वनाथ की और एक त्र-षभनाथ की मूर्तियाँ है। उसके अलावा एक आला खाली है। उस से प्रतीत होता है कि यहाँ भी किसी तीर्थंकर की मूर्ति रही होगी, जिसे खोदकर अपहरण करलिया गया है।
दाहिनी कोठी के पीछे की ओर बांई तथा त्र-षभनाथ की प्रतिमा के ऊपर ई.सन् १०४५ के सोमवंशी राजा उद्योत केसरी के राजत्व के पांचवें वर्ष का निम्नांकित प्राकृत मिश्रित संस्कृत में शिलालेख मिलता है।
ॐ श्री उद्योत केशरी विजयराज्य सम्वत् ५ श्री कुमार पव्वत स्थाने जिन्न वापि जिन्न इसण उद्योतित तस्मिन नव्या स्थाने चतुर्विसति तीर्थंकर स्थापित
मासिक पति
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