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प्रकोष्ठ की छत की अपेक्षा नीची है। बरामदा को एक बेंच तीन ओर से घेरे हुए है। बरामदा की छत के दो-तीन स्थूलाकार खम्भे और पार्श्ववर्ती घनाकार आकृति वाले स्तम्भ सहारा दिये हुए हैं। कमलों के ऊपर एक हाथी स्थित है, जो बोना से युक्त ब्रेकेटों को सहारा दिये हुए है। पूर्ण खिलेहुए कमल, हाथ जोडे महिला माधवी लताऐं बर्तुलाकार पेटवाले गण अधिरचना को सहरा दिये हुए हैं। कमलों पर घुड़ सवार भी दिखलाई पड़ रहे हैं। प्रथम और दूसरे द्वार मार्ग की विभाजिका दीवाल, कर्णपट्ट और चित्रण के साथ नष्ट हो गई है। प्रकोष्ठ का फर्श पीछे से उठा हुआ है। इसकी छत थोडी धनुषाकार है। बएमदा समतल है।
प्रकोष्ट के पीछे की दीवालपर सात सांकेतिक मांग लिक चिन्ह उत्कीर्णित किये गये हैं। मध्य में नन्दिपद है । स्वस्तिस्क, चैत्यबृक्ष त्रिरत्न, पंच परमेष्ठि, नन्दिपद और स्वस्ति एक क्रमश: एक पंक्ति में नक्काशी युक्त हैं। इन्हीं चिन्हों के नीचे किसी खडे हुए तीर्थंकर को भी, उड़ते हुए विद्याधर, चंवरढोने वाले आदि नक्काशी युक्त देवताओं के साथ अधूरा उत्कीर्णित किया गया है।
इस गुंफा का सब से मजेदार पहलु मूर्तिकला और कर्णपट्ट के सजाने का नमुना है। द्वारमार्ग के तोरणों और तोरणों के मध्यवर्ती भाग बहुत सुन्दर ढंग से अलंकृत हैं। चारों प्रवेश द्वार मार्ग मौलिक रूप से आलंकारिक घनाकृति वाले स्तम्भों तोरणों से
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