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गुफाओं की अपेक्षा अपने आप में अनोखी और अद्वितीय प्रतीत होती है। तूफानी, हवाओं,
आंधियों और कर्कश मौसम के कारण नीचे तल्ला के बरामदा के गिरजाने से मूर्तियों के मुखों की प्राचीन भव्यता नष्ट हो गई है। सर्व प्रथम निचली मंजिल की कला प्रस्तुत की जाती है। १. निचली मंजिल:
रानी गुम्फा की निचली मंजिल तीन भागों में विभाजित है।१ दाहिना भाग, २ बायाँ भाग और ३. मुख्य भाग। इन तीनों भागों में उपलब्ध सौन्दर्य का क्रमश: बर्णन करना अत्यावश्यक है। (क) निचली मंजिल का दाहिना भाग :
यह भाग बहुत बड़ा है। इस और तीन प्रवेश द्वारों सहित एक बहुत विशाल प्रकोष्ठ है। इसके सामने के खम्भों पर आधारित एक बरामदा है। सामने की ओर बेंच है। कमरे की छत समतल है। फर्श पीछे से उठा हुआ ढालुदार है, जो तकिये का कार्य करता है। प्रवेशद्वार मोटे घनाकार खम्भों से युक्त है। दरवाजों के प्रवेश मार्गों का आकार ऐसा है कि मनुष्य धीरे से झुकते हुए रेंग कर अन्दर जाने को विवश हो जाता है। अर्ध स्तम्भों के शीर्ष भाग बैलों और पंख युक्त शेरों से सजे हुए हैं। वक्राकार तोरण (कर्णपट्ट) के अतिरिक्त भाग सजावट रहित है। दरवाजे के प्रवेश मार्ग के उपर के तोरण सजे हुए हैं। बायें दरवाजे के मार्ग के तोरण पट्टों पर आम जैसे फल और पौधे उत्कीर्णित किये गये हैं। नीचे स्थित दो जानवरों के मुरव से निकली हुईं लतायें उक्त पौधों पर लिपटी हुईं दृष्टि गोचर होती हैं। इस तोरण के शीर्षभाग के ऊपर नन्दिपाद भी सुशोभित होता है। केन्द्रीय दरवाजे के प्रवेश मार्ग के धनुषाकार तोरणपट्ट के ऊपर माधवी लतायें खिले हुए कमलो और सिर उठायें स्थित दो हाथियों के मुख से निकलते हुए पूर्ण खिले हुए कमल उत्कीर्णित हैं। - इस तोरण के सब से ऊपरी भाग पर श्रीवत्स भी उत्कीर्णित है। दाहिने दरवाजे के प्रवेश मार्ग के ऊपरी भाग अधखिले कमलों उनके तनों और नान्दिपाद उत्कीर्णित कर सजाये गये हैं।
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