Book Title: Udisa me Jain Dharm
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Joravarmal Sampatlal Bakliwal

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Page 82
________________ लोमड़ी आदि जंगली जानवर हिलती हुई झोपड़ी आदि आश्रय रूप स्थान, पक्षी, बन्दर और हाथियों से युक्त कमल वनों से सजा हुआ है। खम्भों के बगल में स्थित दरवाजे मैदान में स्थिर घनाकार स्तम्भों के घट के तल भाग पर स्थिर हैं। पंख युक्त जंगली जानवर वनस्पति, पुष्पीय तथा सुरुचि पूर्ण तोरणों पर उछलते हुए दिखलाये गये हैं। नीचे का मुख्य भाग : रानी गुम्फा के नीचे तल के मुख्य भाग के चार प्रकोष्ठ बने हुए हैं। तीन कमरे बेंच बरामदा के पीछे और एक दाहिनी ओर है। कमरे के सामने का बरामदा पहले ही विध्वंस हो गया है। इसमें मौलिक स्तम्भ थे बरामदा के घनाकार (स्तम्भ) नीचे वर्गाकार और नक्कासी से युक्त हैं। इनके ऊपरी भाग अष्ट कोणीय हैं। ये घनाकार स्तम्भों पर स्थिर हैं। बरामदा के दाहिनी ओर ताक दृष्टि गोचर होता है। बरामदा पहले ही नष्ट हो गया है। खुले प्रांगण से प्रवेश कर कमरे में पहुँचा जा सकता है। बगल के प्रत्येक कमरों में दो-दो प्रवेश द्वार हैं। मध्य के कमरे में तीन प्रवेश द्वार हैं। बरामदा के दाहिने वाले कमरे में एक खुला दरवाजा है। इन में से प्रत्येक कमरे की छत समतल है। और फर्श पीछे की दीवाल के सन्निकट से उठा हुआ है। इन कमरों के प्रवेश द्वार, तोरण और कूड्य स्तम्भों से सुसज्जित हैं। इनके समीप के ब्रेकेटों पर अनेक आकृतियाँ निर्मित हैं। उसे वे रेलिंग संभाले हुए हैं जिनसे प्रवेश द्वार के तोरण जुडे हुए हैं। दरवाजों के कूड्य स्तम्भ नीचे और ऊपर वर्गाकार हैं किन्तु मध्य में अष्ट कोणीय हैं। उनके चौरस मेहरान पर क्षत विक्षत जानवार को देखा जा सकता है। इसके अलावा इनके तोरणों और स्तम्भों पर कोई कलाकारी दृष्टि गोचर नहीं होती है। द्वार मार्ग के उपर के तोरण आलंकारिक डिजायनों से अलंकृत हैं लेकिन कर्णपट्ट बिलकुल सपाट है अर्थात कलाकृति नहीं है। प्राकृतिक कारणों से धनुषाकार तोरण, रेलिंग ब्रेकेटों पर बनी आकृतियाँ उत्कीर्णित जानवर आदि विलुप्त हो गये हैं। रानी गुम्फा के मुख्य भवन के नीचे के भाग के सामने की बायीं ओर के उपखण्ड के प्रारम्भ में एक चित्रित वृक्ष के समीप दो मंजिला की संरचना हुई है जिसके ६९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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