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आठवें उपखंड बुरी तरह से क्षत-विक्षत है जिस में एक हाथी की आकृति दाहिनी और वाईं ओर दो पुरुष अस्पष्ट रूप से प्रतीत होते हैं। नववें दृश्य में उड़ते हुए विद्याधर को पुन: दिखलाया गया है। प्रकोष्ठों के सामने के लंबे बरामदे की चौकीदारी जानवरों की पीठ पर बैठ कर मनुष्य कर रहे हैं।
दाहिना ऊपरी भाग :
दाहिनी और एक पतला (संकरा ) बरामदा है। और एक कोठी है जिसमें खुले हुए दो प्रवेश द्वार है । इस में किसी प्रकार की सजावट नहीं है और न बगल में कोई स्तम्भ है। बरामदा के तीन ओर से बेंच बनी हुई है। घनाकार और आधुनिक कारीगिरी से निर्मित एक स्तम्भ बरामदे की छत को संमाले हुए है। खम्भे के ब्रेकेट पर एक महिला
आकृति उत्कीर्णित है। बरामदा के बाहर और बरामदे पार्श्ववर्ती स्तम्भ के विपरीत भाग में दो द्वारपाल खड़े हुए हैं। उनकी कमर पर तलवार लटकी हुई है। बायीं ओर के द्वारपाल की तोंद निकली हुई है। वह धोती एवं भारी पगडी धारण किये हुए है। इनको खोद खरोंच कर विकृत कर दिया गया है। बाहर एक कोने में एक शेर पर एक व्यक्ति हाथियार लिए बैठा हुआ है। इस भाग के कमरे की छत समतल और फर्श पीछे से उठा हुआ है।
बांई ओर का भाग :
बाई ओर एक कोठी है उसके अन्दर भी एक कमरा है। पहला कमरा एक प्रवेश द्वार से युक्त है जो खुला हुआ है। फर्श अनुदार है। पतला वरामदा है। जिस
तीन ओर बेंच बनी हुई है । अन्दर के कमरे में बनी हुइ खिड़की से बाहर वाले कमरे से प्रकाश आता है। कोठी बाहर के एक जानवर भी उत्क्रीर्णित है । उस पर एक सबार बैठा हुआ है ।
२. बाजा गुम्फा
इस गुंफा में दाहिनी और बाईं ओर दो स्वतंत्र कमरे हैं। इनके सामने समतल छत वाला बारामदा है। बायें ओर के कमरे के सामने की दीवाल क्षतिग्रस्त है । इसे कूड्य स्तम्भ सहारा दिये हुए है। कमरे में दो प्रवेश द्वार हैं। छत दरारी है और फर्श
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