________________
IGI
भद्रक जिला : किया जा चरम्पा : यहाँ पर रहानिया टेन्क क्षेत्र में सराक जाति के
लोग रहते है, जो प्राचीन जैन हैं। एक पार्श्वनाथ
की मूर्ति बरगद के पेड़ के नीचे उपलब्ध है। वालेश्वर जिला : १. कुपारी में पार्श्वनाथ की तीन मूर्तियाँ विद्यमान है। २. पुन्डल, सोन नदी के तलहटी में स्थित है। पार्श्वनाथ
की मूर्ति प्राचीन जैन कला की उदाहरण रूप में विद्यमान है।
ਕਲgਥ
ਰਿਗੇਡ भीमपुर बालेश्वर शहर से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस ग्राम में महावीर तीर्थंकर (वर्धमान स्वामी) त्र-षभदेव, और शांतिनाथ की मूर्तियाँ हैं। अयोध्या नीलगिरि से ६ किलोमीटर दूरस्थ यहाँ पर अनेक पुराने तथा जीर्णशीर्ण मंदिर गुम्बज, आम्बलक इधर-उधर फैले हुए हैं । मणिनागेश्वर मंदिर (अयोध्या ग्राम) में शिवलिंग के पास त्र-षभनाथ की मूर्ति रखी हुई है। इस मंदिर की बाहरी दीवाल पर पार्श्वनाथ की मूर्ति उत्कीर्णित है। मंदिर के समीप बहुत बड़ा कुंड
Com
है।
आयो ध्या संग्रहालय में त्र-षभनाथ की मूर्तियाँ, गोमेध यक्ष और
आम्बिाका - यक्षिणी, पार्श्वनाथ
भीमपुर में शान्तिनाथ तीर्थंकर और आदिनाथ
तीर्थंकर
५०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org