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की दूरी पर साल आदि वृक्ष से घेरा हुआ पर्वत है। जैन रूइन्स इन केउँझर स्टेट नामक अपनी कृति में बी. आचार्य ने कहा है कि जीर्ण-शीर्ण मंदिर और जैन तीर्थंकरों के पुरावशेष यहाँ-वहाँ विखरे हुए हैं। पोड़सिंगिडी ग्राम के नजदीक रामचंडी स्थान में जैन तीर्थंकरों और शासन देवी-देवताओं की मूर्तियाँ आधुनिक मंदिरों की दीवालों में या तो दृढ़ता से सटी हुईं हैं या रखी हुईं है । उन मूर्तियों में आदिनाथ और पद्मप्रभु की मूर्तियाँ प्रमुख हैं । यहाँ के स्मारकों का दिग्दर्शन निम्नांकित है।
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पोड़ासिंगिड़ी आनन्दपुर सवडिविजन में है। यहाँ जीर्ण शीर्ण मंदिर और तीर्थंकर की मूर्तियाँ फैली हुई हैं।
रामचन्डी पोड़ासिंगिड़ी के पास, यहाँ त्र- षभनाथ, अम्बिका की दो मूर्तियाँ और अंबिका - गोमेध की संयुक्त एक मूर्ति हैं।
वैदकिखा में मूर्तियों का निर्माण होता है। मूर्तियाँ ६ फीट ऊँची तक निर्मित होती है ।
द्वार चंडी या गद चंडी में पार्श्वनाथ की मूर्ति है। इन के दोनो ओर २३ तीर्थंकर भी उत्कीर्णित हैं।
पंचभबन (आनन्दपुर) में पार्श्वनाथ तीर्थंकर की १. त्र - षभनाथ तीर्थंकर की २ और यक्षिणी अम्बिका की १ मूर्ति स्थापित है।
जम्भीरा में अम्विका की मूर्ति है, पार्श्वनाथ तीर्थंकर और चौमुखा भी उपलब्ध हैं।
थुमिगाँव में - षभनाथ, अम्बिका और गोमेध की मूर्तियाँ है ।
७.
८. बाईंचुआ में शिर रहित पार्श्वनाथ की मूर्ति है ।
९.
सैन्कुल में पार्श्वनाथ की दो मूर्तियाँ हैं ।
१०.
सलपुर में जैन धर्म सम्बन्धी चिन्ह उपलब्ध होते हैं ।
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