Book Title: Tulsi Prajna 1997 07
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 11
________________ हम ध्यान नहीं देते । इस संदर्भ में मैं आस्ट्रेलिया के Texus वृक्ष की छाल से कैंसर के नियंत्रण में जिस दवा का अविष्कार अभी हाल ही में हआ है, पर ध्यान दिलाना चाहूंगा । आमतौर पर Texus जिस समूह का वृक्ष है, उसकी उपयोगिता उसकी छाल हटाने के बाद अन्दर की लकड़ी से ही जानी जाती थी। छाल को जलाकर नष्ट कर दिया जाता था। अनुपयोगी वृक्षों की छालों को जलाकर नष्ट करना आम प्रक्रिया रही है, लेकिन आज ऐसी बहुत सी छालों के टुकड़ों को वृक्षों के नीचे मिट्टी में मिला कर, वृक्षों की बीमारियों के नियंत्रण के काम में लिया जाता है। आज करीब-करीब हर वर्ग के कुछ जीवों की उपयोगिता जैसे शैवाल (लीलन, Algae), बैक्टीरिया व अन्य सूक्ष्मजीवियों की विशिष्ट उपयोगिताएं जानी जा रही हैं। जैन दर्शन में हर जीव को बचाने की अवधारणा रही है। आज के युग में ये जैन सिद्धांत विश्व को ज्यादा समझ में आने लगे हैं। मानव ने जब भी प्रकृति को बचाने का सोचा, तो मनुष्य के हित के लिये प्रकृति को बचाने का सोचा, लेकिन मैन दर्शन ने हर जीव को बचाने का सोचा। आज विश्व में धीरे-धीरे अपने आप ज्योंज्यों समझ बढ़ी, हर जीव को बचाने की अवधारणा बन रही है । थोड़ा वृक्षों के काटने से होने वाले नुकसानों की तरफ वापस आयें । मैं आपका ध्यान स्थूल नुकसानों की ओर नहीं दिलाता, क्योंकि आप को इसकी जानकारी है । मैं आपका ध्यान उन वैज्ञानिक तथ्यों पर ले जाना चाहता हूं जिसकी आम जानकारी नहीं है । उदाहरण के लिये वृक्षों के तले कई छोटे, कोमल, छाल में रहने वाले ते हैं व नीचे की जमीन में अनेक मीन में अनेकानेक सूक्ष्मजीव (Micro-organisms) रहते हैं, जो निरंतर धरती पर गिरने वाले पतों, डालियों व अन्य प्रकार के कचरा समझे जाने वाले पदार्थों को अपघटित (Decompose) कर के, उनके मूल तत्व में, जिन से ये बने थे, परिवर्तित कर देते हैं । ये कार्य कोई मामूली नहीं है । जरा सोचिये-इस पृथ्वी पर करोड़ों-करोड़ों वर्षों से पेड़ों के तने डालियां, पते व अन्य स्थूल व सूक्ष्मजीव मर कर गिरते रहे हैं व इस कचरे को प्रकृति ने जिन सूक्ष्मजीवों का भी मैं अभी वर्णन कर रहा था, के द्वारा अगर हटाया न होता, तो इस पृथ्वी पर इतना कचरा होता कि जीवन संभव ही नहीं होता । आप सोचेंगे कि, शहरों में तो मनुष्य सफाई करता है, लेकिन जंगलों में सफाई कौन करता था ? जंगलों की सफाई ये सूक्ष्मजीवी ही करते थे, करते हैं व करते रहेंगे। यदि इन्हें नष्ट न किया जाय । पेड़ों को काट कर धरती को अनावरित व अनाच्छादित कर देने से, धरती सूख जाती हैं व ये सूक्ष्मजीवी मर जाते हैं । ऊपरी नुकसान तो हम देखते हैं, लेकिन इन सूक्ष्मजीवों का नुकसान, जो नज़र नहीं आता, वह बहुत बड़ा है। जैन दर्शन ने हर जीव को बचाने का दर्शन दे कर, इस धरती को बचाने का एक वैज्ञानिक दर्शन दिया। यह आश्चर्य की बात हैं कि आज भारत में जहां जैन दर्शन की उत्पति हुई, वहां स्थूल वृक्षों व उनकी पत्तियों को बचाने पर भी समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मनुष्य अपने लालच में, ज्यों ही किसी वृक्ष की नई उपयोगिता मालूम पड़ती पौधे तुमसी प्रहा For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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