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३. उन्होंने दीक्षा-दिन से बारह वर्ष और तेरह पक्ष बीतने तक कुल ३४९
पारणे किए अर्थात् एक पाण्मासिक, दो चातुर्मासिक, तीन त्रैमासिक, छह द्विमासिक, बारह एक मासिक, दो डेढ मासिक तथा दो अड्ढाई मासिक
तप किए । इत्यादि। प्रस्तुत हस्तलिखित पत्र की प्राप्ति मुनिवर्य श्री सुमेरमल 'सुदर्शन' की शोध का परिणाम है और इस लघु कृति का हिन्दी अनुवाद मुनि श्री विमलकुमार ने किया है। उनकी इस महती अनुकंपा के लिए हम सबके आभारी हैं ।
-परमेश्वर सोलंकी
तुलसी प्रण
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