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तत्त्वार्थवृत्ति हिन्दी-सार उत्पत्ति होती है । इसी प्रकार संख्यात, असंख्यात और अनन्त परमाणु वाले स्कन्धोंकी भी उत्पत्ति होती है । स्निग्ध और रूक्ष गुणके एकसे लेकर अनन्त तक भेद होते हैं । जैसे जल, बकरीका दूध और घृत, गायका दूध और घृत भेसका दूध और घृत, और ऊँटनी का दूध
और घृत इनमें स्निग्ध गुण की उत्तरोत्तर अधिकता है । धूलि, रेत, पत्थर, वन आदिमें रूक्ष गुणकी उत्तरोत्तर अधिकता है। इसी प्रकार पुद्गल परमाणुओंमें स्निग्ध और रूक्ष गुणका प्रकर्ष और अपकर्ष पाया जाता है।
न जघन्यगुणानाम् ॥३४॥ जघन्य गुणवाले परमाणुओंका बन्ध नहीं होता है । प्रत्येक परमाणुमें स्निग्ध आदिके एकसे लेकर अनन्त तक गुण रहते हैं। गुण उस अविभागी प्रतिच्छेद ( शक्तिका अंश ) का नाम है जिसका दूसरा विभाग या विवेचन न किया जा सके। जिन परमाणुओं में स्निग्धता और रूक्षताका एक ही गुण या अंश रहता है उनका परस्पर बन्ध नहीं हो सकता। गुण शब्दका प्रयोग गौण, अवयव, द्रव्य, उपकार, रूपादि, ज्ञानादि, विशेषण, भाग आदि अनेक अर्थों में होता है। यहाँ गुण शब्द भाग (अविभागी अंश) अर्थ में लिया गया है।
___ एक गुणवाले स्निग्ध परमाणु का एक, दो, तीन आदि अनन्त गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष परमाणुके साथ बन्ध नहीं होगा। इसी प्रकार एक गुणवाले रूक्ष परमाणुका एक, दो, तीन आदि अनन्त गुणवाले रूक्ष या स्निग्ध परमाणु के साथ बन्ध नहीं होगा। जघन्य गुणवाले स्निग्ध और रूक्ष परमाणुओंको छोड़कर अन्य स्निग्ध और रूक्ष परमाणुओं का परस्परमें बन्ध होता है।
गुणसाम्ये सदृशानाम् ॥ ३५ ॥ गुणोंकी समानता होनेपर एक जातिवाले परमाणुओंका भी बन्ध नहीं होता है । अर्थात् दो गुण वाले स्निग्ध परमाणुका दो गुण वाले स्निग्ध या रूक्ष परमाणुके साथ बन्ध नहीं होता है, और दो गुणवाले रूक्ष परमाणुका दो गुणवाले रूक्ष या स्निग्ध परमाणुके साथ बन्ध नहीं होता है।
यद्यपि गुणकी समानता होनेपर सजातीय या विजातीय किसी प्रकारके परमाणुओं का बन्ध नहीं होता है और इस प्रकार सूत्रमें सदृश शब्द निरर्थक हो जाता है लेकिन सदृश शब्द इस बातको सूचित करता है कि गुणोंकी विषमता होनेपर समान जातिवाले परमाणुओंका भी बन्ध होता है केवल विसदृश जातिवाले परमाणुओंका ही नहीं ।
बन्ध होनेका अन्तिम निर्णय
द्वयधिकादिगुणानां तु ॥ ३६ ॥ दो अधिक गुणवाले परमाणुओंका बन्ध होता है । तु शब्दका प्रयोग पादपूरण,अवधारण, विशेषण और समुच्चय इन चार अर्थों में होता है उनमेंसे यहाँ तु शब्द विशेषणार्थक है। पूर्व में जो बन्धका निषेध किया गया है उसका प्रतिषेध करके इस सूत्रमें बन्धका विधान किया गया है। दो गुणवाले स्निग्ध परमाणुका एक, दो और तीन गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष परमाणुके साथ बन्ध नहीं होगा किन्तु चार गुणवाले स्निग्ध या रूक्ष परमाणुके साथ बन्ध होगा। दो गुणवाले स्निग्धपरमाणुका पाँच, छह, आदि अनन्त गुणवाले स्निग्ध
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