Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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५२०
तत्त्वार्थवृत्ति
४।१९,४।३२
६।८
९६
९।२८९१३०
६।३६ १०१५
७४ ९४२२ ६।२४ १०७
६।१० १।४।६।२९७
९।१ २०३६,२।४९
२।३८ प्रारण -गुणनिर्जरा
९/४५ श्रारम्भ -भागादि
५।१५ श्राव -वर्षायुम्
२१५३ - प्रात असङ्गत्व
१०६ आर्य असदभिधान
७.१४ अालोकान्त असद्गुणोद्भावन
६।२५ भालोकितपान भोजन असद्वंद्य
६।११:८८
आलोचना असमीक्ष्याधिकरण
७।३२
आवश्यकापरिहाणि असर्वपर्याय
१२६
आविद्धकुलालचक्रवत् असिद्धत्व
श्रासादन असुर
४।२८
श्राव -कुमार
४।१०
-निरोध
आहारक श्रा ऐशान
४७ ५।१५/६,५९,५।१८
इत्वरिकागमन अाकाश -प्रतिष्ठ
३।१
इन्द्र प्राकिञ्चन्य
इन्द्रिय (पञ्च) आक्रन्दन
-विषय
६११ अाक्रोश
९।९,९।१५
इन्द्रियानिन्द्रियनिमित्त प्राचार्य
९।२४ -भक्ति
ईया आज्ञा ( विचय)
९/३६
ईर्यापथ
ईर्यासमिति प्रातप
५।२४;८।११ श्रात्मप्रशंसा श्रामरक्ष.
४४ आत्मस्थ
६।११ | उच्चै स् श्रादाननिक्षेप
९।५ उच्छ्वास श्रादाननिक्षेपणसमिति
७४ उत्तमक्षमा श्रादित्य
४।२५ उत्तमसंहनन श्रादेय
उत्तर श्राद्य
१।११:२।४५,६।८:८।४:९।३७ उत्तरकुरु प्रानत
४११९
उत्पद्यन्ते श्रानयन
७।३१ उत्पाद श्रानुपूर्वी
८।११ उत्सर्ग आन्तमुहूर्त
९।२७ उत्सर्पिणी अाभ्यन्तरोपाधि
९।२६ उदधिकुमार अाम्नाय
९/२५
उद्योत आयुष्
८।१७।८।२४ । उन्मत्तवत्
७।२८ Y୪ ६५ ४॥२० ०१४
६/२४
९५ ६।४
७४
ईहा
१।१५
६/२५
उ
८/१२ ८/११
९।६
९।२७ ३३२६:६।२६,९।२०
३।३७ ५२६
८।११
९/५. ३१२७
४।१० ५।२४,८।११
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