Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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५३०
तत्त्वार्थवृत्ती
७/३६ ७/३५
७.३५ ११८५।२९,५।३०
९।९ ९।१५
३।६, ७।११
११३२ ५।३५
६॥२५ ६.१२,८1८,८।२५
शैक्ष्य
९।२४ | सचित्तापिधान शोक
६।११;८९ | सचित्तनिक्षेप शौच
६।१२,९६६ सचित्तसम्बन्ध श्रावक
९१४५ सचित्तसम्मिश्र श्री
३११९
सत् श्रुत ११९:११२०१।२६,१:३१:२।२१,६।१३; सत्कार
८१६:९/४३,९।४७ सत्कारपुरस्कार २१९ सत्य
सत्त्व
सदसतोरविशेष पट्समय
३।२७
'सदृश षड्विंशतिपञ्चयोजनशतविस्तार ३२४ सद्गुणाच्छादन
सद्वैद्य
सधर्माविसंवाद संक्लिष्टासुरोदीरितदुःख
३।५
समनस्क संयम
९१६:९/४७ समभिरूढ संयमासंयम
२२५,६।२० समारम्भ संयोग (द्विभेद)
समिति संरम्भ
६१८ सम्प्रयोग संवर
१।४।९।१,९७ संवृत्त
२२३२ सम्मूछिन् संवेग
६।२४ सम्यक्त्व संवेगार्थ
७।१२ सम्यक्चारित्र संसार
९७ सम्यग्ज्ञान संसारिन्
२।१०:२।१२,२।२८ सम्यग्दर्शन संस्थान
५।२४;८।११ सम्यग्दृष्टि संस्थान विचय
सम्यग्योगनिग्रह संहनन
८.११ सरागसंयम सङ्ख्या
१८
सरागसंयमादि संङ्ख्येय
५/१० | सरित् -काल
३॥३१ | सर्वद्रव्यपर्याय संग्रह
१३३ | सर्वात्मप्रदेश सङ्घ
६।१३,९।२४ | सर्वार्थसिद्धि सङ्घात
५।२६,५।२८3 ८।११ | सल्लेखना सज्वलन
! सवितर्क सज्ञा
१।१२ | सवीचार सज्ञिन्
२।२४ ससामानिकपरिषत्क सकषाय
६४ सहस्रार सकषायत्व
८२ | साकारमन्त्रभेद सचित्त
२।३२ | सागरोपम
२।११; २।२४
११३३
६१८ ९।२६/५
६।३० २।३१; २।३५
२५० २।५,६२१८।९,१०४
९।७ सम्मूर्च्छन
१११
१११ १११,१२ ७/२३,९४५
९/४ ६।२० ६।१२ ३।२० ११२९
८।२४ ४/१९:४१३२
७/२२ ९/४१ ९४१ ३।१९ ४/१६
७२६
३।६:४।२८:४।२९,४/४२
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