Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 642
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्त्वार्थसूत्रस्थशब्दानामकाराद्यनुक्रमः ५३१ साधु ८.११ ५।२४ ९/४६ २।२०८.११ १९८२।१९ ४८ ५।२३ १।१२ १०/४ सिद्धि सिन्धु ३।२० ७/३३७/३४ ७।३० २।१ ६.१८ ७७ ९।२० ११७ ११२५ ७०३८ सुवर्ण साधन १७ | स्थित्युपग्रह ९।२४ / स्थिर साधुसमाधि ६।२४ । स्थौल्य साध्य ९/४७,१०९ स्नातक सानत्कुमार ४।१९:४/३० स्पर्श सामायिक ४१४७।२१६।१८ | स्पर्शन साम्परायिक ६४ स्पर्शप्रवीचार सारस्वत ४।२५ स्पर्शवत् सिद्धत्व स्मृति ५।३२ स्मृतिसमन्वाहार स्मृत्यनुपस्थान स्निग्धत्व ५१३३ | स्मृत्यन्तराधान सीता ३२२० । स्वतत्त्व सीतोदा ३।२० स्वभावमार्दव ४।२०,५।२० स्वशरीरसंस्कार ( त्याग) सुखानुबन्ध ७।३७ स्वाध्याय (पञ्च) सुपर्णकुमार ४११०४।२८ स्वामित्व सुभग ८.११ स्वामिन् ७/२६ स्वातिसर्ग कूला ३१२० सुस्वर ८/११ सूक्ष्म २।३७८।११।२४ हरिकान्ता -क्रियाप्रतिपाति ९।३९ | हरित -साम्पराय ६।१०,९।१८ हरिवर्ष सूर्याचन्द्रमसौ ४१२ हारिवर्षक १।१६:२१३२,८।११ | हास्य ५।२४ -प्रत्याख्यान सौधर्म ४।१९:४/२९ | हिंसा स्कन्ध ५।२५ -विरति स्तनितकुमार ४१. हिमवत् स्तेनप्रयोग ७२७ हिरण्य स्तेय ७.१५,९।३५ हीना -विरति हीनाधिकमानोन्मान स्त्यानगृद्धि हेममय ९।९,९।१५ हैमवत -वेद हैमवतवर्ष रागकथाश्रवण (त्याग) हैरण्यवतवर्ष स्थापना ११५ ह्रद स्थावर १।१३।२।१२ | हास स्थिति ११७,३१६:४।२०४।२८,८३८|१४ ही ho ३१२० ३।२० सेतर सौम्य ३२९ ८९ ७/९; ७।१३,६।३५ ७.१ ७/२९ ४।२१ ८७ ३।२६ ३।१० ३।१० ३१४३।१५,३।१८ ૩૨૭ ३११९ For Private And Personal Use Only

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