Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 640
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९/२० व्यय विदेहवर्ष विदेहान्त विद्युत्कुमार विधान विधिविशेष विनय (चतुर्भेद) विनयसम्पन्नता विपरीत विपर्यय विपाक -विचय विपुलमति विप्रमोक्ष विप्रयोग विमोचितावास विरत विरुद्धराज्यातिक्रम विविक्तशय्यासन विवेक विशुद्ध विशुद्धि विषय -संरक्षण विष्कम्भ विसंवादन विहायोगति वीचार वीतराग वीर्य -विशेष ६।२४ तत्त्वार्थसूत्रस्थशब्दानामकाराद्यनुक्रमः ५२९ ३।१० वैयावृत्त्यकरण ६/२४ ३।२५ वैयावृत्त्य (दश) ४|१० वैराग्यार्थ ७११२ १७ व्यञ्जन १११८ ७१३९ व्यञ्जनसंक्रान्ति ६४४ ९।२० व्यन्तर ४/५:४/११४।३८ ६।२४ ५।३० ६।२३, ९।३१ व्यवहार १।३३ ११३१, ६।२६ व्युत्सर्ग ९।२२ टा२१ व्युत्सर्ग ( द्विभेद) ९।२० ९।३६ व्युपरतक्रियानिवर्ति ६।३६ १॥२३ व्रत ७।१७)२४ १०२ व्रतसम्पन्न ७२१ ६।३० बतिन् ७१८ ७/६ ,व्रत्यनुकम्पा ६।१२ ९४५ ७।२७ शक्तितः तपस् ९/१६ शक्तितः त्याग ९/२२ २४९ शङ्का ૭/૨ १।२४।१।२५ शतार १।२५ १।३३,२।२०५।२४ ९।३५ शब्दानुपात ७/३१ शब्दप्रवीचार ४८ शय्या ९६ ८।११ शरीर २।३६,४।२१:५/१९८।११ शर्कराप्रभा ३६ ९।१० शिखरिन् २।४८१३ शीत २॥३२,९१९ ६/६ शील ७२४ ३१९ शीलवतानतिचार ६।२४ ९।१९ शुक्र ४/१६ ३।२७ | शुक्ल (ध्यान) ९।२८, ९/३७ ७७ | शुक्ललेश्या ૪૨૨ ३।३।९।३२ | शुभ २।४९; ६।३; ६:२३, ८।११ ८१४८।१८९।१६ शुभनामा २।३६,२।४६ शुभायु ८।२५ ४/१९ शून्यागारवास ७६ ३।१२ | शेष १२२,२॥३५,२।५२:३।२२,४।८।४।२२; ४।२७,४।२८,८१२०९।१६ ३१३२ ६।२२ | वृत्त वृत्तिपरिसङ्ख्थान वृद्धि वृष्येष्टरस (त्याग) वेदना वेदनीय वैक्रियिक वैजयन्त वैडूर्यमय वैमानिक For Private And Personal Use Only

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