Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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९/२०
व्यय
विदेहवर्ष विदेहान्त विद्युत्कुमार विधान विधिविशेष विनय (चतुर्भेद) विनयसम्पन्नता विपरीत विपर्यय विपाक
-विचय विपुलमति विप्रमोक्ष विप्रयोग विमोचितावास विरत विरुद्धराज्यातिक्रम विविक्तशय्यासन विवेक विशुद्ध विशुद्धि विषय
-संरक्षण विष्कम्भ विसंवादन विहायोगति वीचार वीतराग वीर्य
-विशेष
६।२४
तत्त्वार्थसूत्रस्थशब्दानामकाराद्यनुक्रमः
५२९ ३।१० वैयावृत्त्यकरण
६/२४ ३।२५ वैयावृत्त्य (दश) ४|१० वैराग्यार्थ
७११२ १७ व्यञ्जन
१११८ ७१३९ व्यञ्जनसंक्रान्ति
६४४ ९।२० व्यन्तर
४/५:४/११४।३८ ६।२४
५।३० ६।२३, ९।३१ व्यवहार
१।३३ ११३१, ६।२६ व्युत्सर्ग
९।२२ टा२१ व्युत्सर्ग ( द्विभेद)
९।२० ९।३६ व्युपरतक्रियानिवर्ति
६।३६ १॥२३ व्रत
७।१७)२४ १०२ व्रतसम्पन्न
७२१ ६।३० बतिन्
७१८ ७/६ ,व्रत्यनुकम्पा
६।१२ ९४५ ७।२७
शक्तितः तपस् ९/१६
शक्तितः त्याग ९/२२ २४९ शङ्का
૭/૨ १।२४।१।२५
शतार १।२५
१।३३,२।२०५।२४ ९।३५ शब्दानुपात
७/३१ शब्दप्रवीचार
४८ शय्या
९६ ८।११ शरीर
२।३६,४।२१:५/१९८।११ शर्कराप्रभा
३६ ९।१० शिखरिन् २।४८१३ शीत
२॥३२,९१९ ६/६ शील
७२४ ३१९ शीलवतानतिचार
६।२४ ९।१९ शुक्र
४/१६ ३।२७ | शुक्ल (ध्यान)
९।२८, ९/३७ ७७ | शुक्ललेश्या
૪૨૨ ३।३।९।३२ | शुभ
२।४९; ६।३; ६:२३, ८।११ ८१४८।१८९।१६ शुभनामा २।३६,२।४६ शुभायु
८।२५ ४/१९ शून्यागारवास
७६ ३।१२ | शेष १२२,२॥३५,२।५२:३।२२,४।८।४।२२;
४।२७,४।२८,८१२०९।१६
३१३२
६।२२ |
वृत्त
वृत्तिपरिसङ्ख्थान वृद्धि वृष्येष्टरस (त्याग) वेदना वेदनीय वैक्रियिक वैजयन्त
वैडूर्यमय
वैमानिक
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