Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 633
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्त्वार्थवृत्ती कुल्य ७/२९ । गर्भ -वत् कृत्स्न ग्रह चक्षुष् ८३९ २।३१।३३ ९।२४ । गर्भसम्मूर्छनज २१४५ कुलालचक्र ५.४१ कुशील ९/४६ -साम्य कूटलेखक्रिया ७/२६ ५।३८ कृत ६८ गुणाधिक ७/११ ५।१३ । गुप्ति ९।२६।४ कृत्स्नकर्मविप्रमोक्ष १०१२ ८।४।८।१६८।११,८२५ कृमि ४/१२ केवल १११९१२९८।६८७,१०११ प्रैवेयक ४।१९:४/२३,४।३२ -ज्ञान १०१४ ग्लान ९/२४ -दर्शन १०।४ केवलिन् ६।१३, ९।३८ केशरिन् ३।१४ घन कोटिकोटी ८।१४ | प्राण २।१६ कौकुच्य क्रिया ५।२२, ६५ क्लिश्यमान १९:२।१९८1७ ७।११ क्रोध चतुर्णिकाय ४१ चतुर्दशनदीसहस्रपरिवृता __-प्रत्याख्यान ३१२३ चर्या क्षपक ५।२८ क्षयोपशमनिमित्त चाक्षुष १२२ चारित्र क्षान्ति २।३।५:१/२:६।१८,९।२३:१०१६ ६१२ क्षायिक २११ ६११४,२०१५ -मोहनीय क्षिप्र ८९ चिन्ता १११२ क्षीणमोह ६/४५ क्षुत् १८१२५:३३१०७७/२६:१०१९ छन्मस्थ २१० ५।२४ ७।२५:१२२ छेदोपस्थापना ९।१८ ३२० सिन्ध्वादि ३२२३ ৰাৰা जगत्स्वभाव ७/१२ गति २१६:२।२६:४।२१८।११:१०१९ । जघन्यगुण ५।३४ गत्युपग्रह ५।१७ जन्म २३१ गन्ध २।२०६८।११ जम्बूद्वीप ३७३।२,३।३२ ४।११ जयन्त गन्धवत् ५।२३ जरायुज गर्दतोय ४१२५ जाति ८/११ ९४० -मोह क्षेत्र -वृद्धि छाया गन्धर्व ४११९ For Private And Personal Use Only

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