Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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तत्त्वार्थसूत्रस्थशब्दानामकाराद्यनुक्रमः
५२१
५।१७ ऐरावत
उपकरण उपकार उपग्रह उपधात
उपचार
२।१
उपधि उपपाद
-स्थान उपभोग उपभोगपरिभोगानर्थक्य उपभोग ( परिमाण) उपयोग उपशमक उपशान्तमोह उपस्थापन
९/४५
कन्दर्प
रा२५'
उपाध्याय
उभयस्थ उग्ण
३।१०७३।२७,३।३७ ५।२० | ऐशान
४११९४/२९ ६।१०८।११
९।२३
९।२९ श्रौदयिक २॥३१:२।३४ औदारिक ९।४७ श्रौपपादिक
२१४६:१५३,४।२७ २।४,८।१३ औपशमिक
७।३२ , श्रीपशमिकादि
७/२१ २।८:२।१८
४।३२ ९।४५
कर्मभूमि ९।२२
कर्मयोग ९।२४ कर्मयोग्य
૮ર ६.११ कल्प
४१२३ ११९ कल्पात कल्पातीत
४|१७ कल्पोपपन्न
४।३,४।१७ कषाय
श६,६५,६।८८।१८९ ४।३२,१०१५ कषाय ( वेदनीय ) ( पोडश)
८२ कषायोदय
६।१४ काङ्क्षा
७/२३ कापिष्ठ
४।१९ कामतीवाभिनिवेश
७/२८ १।३३ / काय
५।१६.१ -क्लेश
९।१९ -प्रवीचार -योग
९।४० ९८
७११२ ९७ । कारित
६८ ९।३९ कारुण्य
५।६ कार्मण ३१२९ । काल
. १९८५/२२:५।२९,१०।९ ५।१४ -विभाग
४।१४ ९।४० कालातिक्रम ९।२७ किम्पुरुष
४।११ ९.४१ किन्नर
४।११ १०७ किल्विषिक
४४ ९।५ । कीर्ति
-व्यतिक्रम
जमति जसूत्र
११२३
८।२४
स्वभाव
एकक्षेत्रावगाहस्थित एकजीव एकत्व ( अनुप्रेक्षा) एकत्ववितर्क एकद्रव्य एकपल्योपस्थिति एकप्रदेशादि एकयोग एकाग्रचिन्तानिरोध एकाश्रय एरण्डबीजवत् एषणा
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