Book Title: Tattvartha Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनु.
८३ न्द्रिय प्रतिसंसीनतातथ डे पंयविवत्व प्रा
नि३पासू-१८
८४
૯૫
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८७
८८
te
१००
विषय
૧૧૬
११७
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૧૧૯
१२०
૧૨૧
प्रषाय प्रतिसंलीनतातथा नि३पएा सू-२० योगप्रति संसीनता तथा नि३पासू-२१ विवि श्ययासनता प्रानि३पासू-२२ ज्ञान विनयता नि३पासू-२३ दर्शनविनयतथा नि३पासू-२४ शुश्रूवविनयतथा नि३पासू-२५
अनत्याशातना विनयतप से ४५ पैंतालीस लेहों
ST Sथन सू-२९ चारित्रविनयता नि३पासू-२७
૧૦૧
१०२
भन, वयन, प्राथविनयतथा नि३पासू-२८ सोडोपयारविनयतथा नि३पासू-२८
१०३
૧૦૫
१०४ आभ्यन्तरतप डे छठा लेह व्युत्सर्ग प्रा नि३पएा सू-३० द्रव्यव्युत्सर्गत डा नि३पासू-३१ लावव्युत्सर्गतया नि३पासू-३२ प्रषायव्युत्सर्गतया नि३पासू-33 संसारव्युत्सर्गतया नि३पासू-३४
१०६
१०७
१०८
१०८
व्युत्सर्गतथा नि३पाएा सू-34
११०
निर्भरा सजो समान होती है ? या विशेषाधि5 ? सू-३६ मोक्षमार्ग प्रानि३पासू-३७
૧૧૧
૧૧૨
सम्यग्दर्शना निपा सू-३८
૧૧૩
११४
सम्यग्दर्शन डी द्वि प्रकारता डा नि३पा सू-3८ समयग्ज्ञान स्व३प नि३पासू-४० ૧૧૫ समयग्ज्ञान होंडा प्रथन सू-४१
भतिश्रुतज्ञान के परोक्षत्व का निश्पा सू-४२ अवधि, मनः पर्यव, देवलज्ञान के प्रत्यक्षत्वा नि३पासू-४३
भतिज्ञान डे द्वि प्रकारता डा प्रथन सू-४४
भतिज्ञान यातुविर्घ्यत्वा नि३पासू-४५
अवग्रह के हो लेहों प्रा नि३पासू-४६
श्रुतज्ञान
हो लेहों प्रा प्रथन सू-४७
पाना नं.
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર : ૨
२३८
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