Book Title: Tattvagyan Pathmala 1
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 10
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ २. सात तत्त्व सम्बन्धी भूलें आचार्यकल्प पंडित टोडरमलजी (व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व) आचार्यकल्प पंडित टोडरमलजी के पिता श्री जोगीदासजी खण्डेलवाल दि. जैन गोदिका गोत्रज थे और माँ थी रंभाबाई। वे विवाहित थे। उनके दो पुत्र थे -हरिश्चन्द्र और गुमानीराम। गुमानीराम महान् प्रतिभाशाली और उनके समान ही क्रान्तिकारी थे। यद्यति पंडितजी का अधिकांश जीवन जयपुर में ही बीता किन्तु उन्हें अपनी आजीविका के लिये कुछ समय सिंघाणा अवश्य रहना पड़ा था। वे वहाँ दिल्ली के एक साहुकार के यहाँ कार्य करते थे। परम्परागत मान्यतानुसार उनकी आयु यद्यपि २७ वर्ष मानी जाती है किन्तु उनकी साहित्यसाधना, ज्ञान व नवीनतम प्राप्त उल्लेखों व प्रमाणों के आधार पर यह निश्चित हो चुका है कि वे ४७ वर्ष तक जीवित रहे। उनकी मृत्यु तिथि वि. सं. १८२३-२४ लगभग निश्चित है, अतः उनका जन्म वि. सं. १७७६७७ में होना चाहिये। उनकी सामान्य शिक्षा जयपुर की एक आध्यात्मिक ( तेरापंथ) शैली में हुई परन्तु अगाध विद्वत्ता केवल अपने कठिन श्रम एवं प्रतिभा के बल पर ही उन्होंने प्राप्त की, उसे बांटा भी दिल खोलकर। वे प्रतिभासम्पन्न, मेघावी और अध्ययनशील थे। प्राकृत, संस्कृत और हिन्दी के अतिरिक्त, उन्हें कन्नड भाषा का भी ज्ञान था। आपके बारे में वि. संवत् १८२१ में व्र. रायमल इन्द्रध्वज विधान महोत्सव पत्रिका में लिखते हैं – “ऐसे महंत बुद्धि के धारक पुरुष इस काल विर्षे होना दुर्लभ है, तातें वासुं मिले सर्व संदेह दूर होय हैं। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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