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की व्यवस्था नहीं बनेगी। अतः चारों प्रभावों का स्वरूप अच्छी तरह समझकर मोह-राग-द्वेषादि विकार का प्रभाव करने के प्रति सावधान होना चाहिए।
प्रश्न -
१. प्रभाव किसे कहते ? वे कितने प्रकार के होते हैं ? नाम सहित लिखिये ? २. निम्नलिखित में परस्पर अन्तर बताइये :
(क) प्रागभाव और प्रध्वंसाभाव
(ख) अन्योन्याभाव और अत्यन्ताभाव ३. प्रभावों के समझने से क्या लाभ है ? ४. निम्नलिखित की प्रभावों के स्वरूप के संदर्भ में समीक्षा कीजिए :
(क) ज्ञानावरणी कर्म के क्षय से केवलज्ञान की प्राप्ति होती है। (ख) कर्म के उदय से शरीर में रोग होते हैं। (ग) यह आदमी चोर है, क्योंकि इसने पहले स्कूल में पढ़ते समय मेरी
पुस्तक चुरा ली थी। ५. निम्नलिखित जोड़ो में परस्पर कौनसा अभाव है :
(क) इच्छा और भाषा (ख) चश्मा और ज्ञान (ग) शरीर और वस्त्र
(घ) शरीर और जीव ६. आचार्य समन्तभद्र के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डालिए ?
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