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रमेश - तो फिर वे बारह वर्ष तक कहाँ रहे ?
अध्यापक - कोई एक जगह थोड़े ही रहे। वेश बदलकर जगह-जगह घूमते रहें।
सुरेश - हमने सुना है की भीम बहुत बलवान था। उसने महाबली कीचक को बहुत पीटा था।
अध्यापक - हाँ! यह घटना भी उनके बारहवर्षीय अज्ञातवास के काल में ही घटी थी। जब वे विचरते-विचरते विराटनगर पहुँचे तो गुप्तवेश में ही राजा विराट के यहाँ विविध पदों पर काम करने लगे। युधिष्ठर पंडित बनकर, भीम रसोइया बनकर, अर्जुन नर्तकी बनकर और नकुल तथा सहदेव अश्वशाला के अधिकारी बन कर रहे। द्रौपदी भी मालिन बन कर रहने लगी।
राजा विराट की राणी का नाम था सुदर्शना और उसका भाई था कीचक। उसने जब द्रौपदी को साधारण मालिन समझा था। अतः द्रौपदी को अनेक प्रकार के लोभ दिखाकर अपना बुरा भाव प्रगट करने लगा। द्रौपदी ने यह बात अपने जेठ भीम से कही। भीम ने उससे कहा कि तुम उससे नकली स्नेहपूर्ण बात बनाकर मिलने का स्थान और समय निश्चित कर लेना। फिर में सब देख लूँगा। पापी कीचक को अपने किए की सजा मिलनी ही चाहिये।
रमेश - फिर क्या हुआ ?
अध्यापक - फिर क्या ? द्रौपदी ने नकली नेह द्वारा उससे रात्रि का समय व एकान्त स्थान निश्चित कर लिया। फिर भीम द्रौपदी के कपड़े पहिन कर निश्चित स्थान पर निश्चित समय के पूर्व की पहुँच गये। ___ कामासक्त कीचक जब वहाँ पहुँचा तो द्रौपदी को वहाँ आई जान बहुत प्रसन्न हुआ और उससे प्रेमालाप करने लगा, किन्तु उस पापी को प्रेमालाप का उत्तर जब भीम के कठोर मुष्ठिका-प्रहारों से मिला तो तिलमिला गया। उसने अपनी शक्ति अनुसार प्रतिरोध करने का बहुत यत्न किया पर भीम के आगे उसकी एक न चली और निर्मद दीन-हीन हो गया। उसको दीन-हिन दशा में देख दयालु भीम ने भविष्य में ऐसा काम न करने की चेतवनी देकर छोड़ दिया। उसे अपने किये की सजा मिल गई।
सुरेश - उसके बाद पाण्डवों का क्या हुआ ?
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