Book Title: Tattvagyan Pathmala 1
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 58
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates जुा है। यह बहुत बुरा व्यसन हैं। इसके चक्कर में फँसे लोगों का आत्महित तो बहुत दूर, लौकिक जीवन भी प्रस्त-व्यस्त हो जाता है। महाप्रतापी पाण्डवों को भी इसके सेवन से बहुत कठिनाइयाँ उठानी पडी थीं । अतः आज से प्रतिज्ञा करो कि अब कभी भी जुम्रा नहीं खेलेंगे, शर्त लगाकर कोई कार्य नहीं करेंगे। रमेश - ये पाण्डव कौन थे ? अध्यापक बहुत वर्षो पहिले इस भारतवर्ष में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर में कुरुवंशी राजा धृतराज राज्य करते थे। उनके तीन रानियाँ थीं अंबिका, अंबालिका और अंबा। तीनों रानियों से क्रमशः धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर नामक तीन पुत्र हुए। राजा धृतराज के भाई रुक्मण के पुत्र का नाम भीष्म था । - धृतराष्ट्र के गान्धारी नामक रानी से दुर्योधन आदि सौ पुत्र उत्पन्न हुए, जिन्हें कौरव नाम से जाना जाता है। पाण्डु के कुन्ती और माद्री नामक दो रानियाँ थीं। कुन्ती से कर्ण नामक पुत्र तो पाण्डु के गुप्त (गांधर्व) विवाह से हुआ, जिसे बदनामी के भय से अलग कर दिया गया था और वह अन्यत्र पलकर बड़ा हुआ। तथा युधिष्ठर, भीम अर्जुन तीन पुत्र बाद में हुए । माद्री से नकुल और सहदेव दो पुत्र हुए। पाण्डु के युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव पाँच पुत्र ही पाँच पाण्डव नाम से जाने जाते हैं । सुरेश - हमने तो सुना है कि कौरव और पाण्डवों के बीच बहुत बड़ा युद्ध हुआ था ? अध्यापक - कौरव और पाण्डवों में राज्य के लिए आपस में तनाव बढ़ गया था; पर भीष्म, विदुर और गुरु द्रोणाचार्य ने बीच में पड़कर समझौता करा दिया था। आधा राज्य कौरवों को और आधा राज्य पाण्डवों को दिला दिया, पर उनका मानसिक द्वन्द्व समाप्त नहीं हुआ । रमेश - गुरु द्रोणाचार्य कौन थे ? अध्यापक तुम गुरु द्रोणाचार्य के बारे में भी नहीं जानते हो ? भार्गववंशी धनुर्विद्या में प्रवीण आचार्य थे। इन्होंने ही कौरव और पाण्डवों को धनुर्विद्या सिखाई थी। इनका पुत्र अश्वत्थामा था, जो इनके समान ही धनुर्विद्या में प्रवीण था । - ५५ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

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