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पांच पाण्डव सुरेश - आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा। जब तक पैसा नहीं देगा, तब तक नहीं छोडूंगा।
रमेश - क्यों नहीं छोड़ेगा ? सुरेश - जब पैसे नहीं थे तो शर्त क्यों लगाई ? रमेश - मैंने तो वैसे ही कह दिया था। सुरेश - मैं कुछ नहीं जानता , निकाल पैसे ? रमेश - पैसे हैं ही नहीं तो क्या निकालूँ ? सुरेश - ( कमीज पकड़कर) फिर शर्त क्यों लगाई ?
अध्यापक - क्यों भई रमेश-सुरेश! क्यों लड़ रहे हो? अच्छे लड़के इस तरह नहीं लड़ते। हमें अपने सब कार्य शान्ति से निपटाने चाहिए, लड़झगड़कर नहीं।
रमेश - देखिए मास्टर साहब! यह मुझे व्यर्थ ही परेशान कर रहा है। सुरेश - मास्टर साहब! यह मेरे पैसे क्यों नहीं देता ?
अध्यापक - क्यों रमेश ! तुम इसके पैसा क्यों नही देते ? अच्छे लड़के किसी से उधार लेकर उसे इस तरह परेशान नहीं करते। तुम्हें तो बिना मांगे उसके पैसे लौटाने चाहिए थे। यह मौका ही नहीं आना चाहिए था।
रमेश - गुरुजी ! मैंने पैसे इससे लिए ही कब हैं ? अध्यापक - लिए नहीं तो फिर यह मांगता क्यों है ?
सुरेश - इसने पैसे तो नहीं लिये, पर शर्त तो लगाई थी और हार गया। अब पैसे क्यों नहीं देता ?
अध्यापक - हाँ! तुम जुआ खेलते हो ? अच्छे लड़के जुया कभी नहीं खेलते। सुरेश - नहीं साहब! हमने तो शर्त लगाई थी। जुना कब खेला ?
अध्यापक - हार-जीत पर दृष्टि रखते हुए रुपये-पैसे या किसी प्रकार के धन से खेल खेलना या शर्त लगाकर कोई काम करना या दाव लगना ही तो
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