Book Title: Tattvagyan Pathmala 1
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 24
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates एसी विषम स्थिति में भी आपका धैर्य भंग नहीं हुआ, क्योंकि वे प्रात्मानुभवी पुरुष थे। ___ कविवर पंडित बनारसीदास उस आध्यात्मिक क्रान्ति के जन्मदाता थे, जो तेरहपंथ के नाम से जानी जाती है और जिसने जिनमार्ग पर छाये भट्टारकवाद को उखाड़ फेका था तथा जो आगे चलकर आचार्यकल्प पंडित टोडरमल का संस्पर्श पाकर सारे उत्तर भारत में फैल गई थी। काव्यप्रतिभा तो आपको जन्म से ही प्राप्त थी। १४ वर्ष की उम्र में आप उच्च कोटि की कविता करने लगे थे, पर प्रारम्भिक जीवन में श्रृंगारिक कविताओं में मग्न रहे। इनकी सर्वप्रथम कृति 'नव रस' १४ वर्ष की उम्र में तैयार हो गई थी, जिसमें अधिकांश श्रृंगार रस ही का वर्णन था। यह श्रृंगार रस की एक उत्कृष्ट कृति थी, जिसे विवेक जागृत होने पर कवि ने गोमती नदी में बहा दिया। इसके पश्चात् आपका जीवन अध्यात्ममय हो गया और उसके बाद की रचित चार रचनायें प्राप्त है - नाटक समयसार, बनारसी विलास, नाममाला और अर्द्धकथानक। 'अर्धकथानक' हिन्दी भाषा का प्रथम आत्म-चरित्र है जो कि अपने में एक प्रौढ़तम कृति है। इसमें कवि का ५५ वर्ष का जीवन पाइने के रूप में चित्रित है। विविधताओं से युक्त आपके जीवन से परिचित होने के लिए इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। ___ 'बनारसी विलास' कवि की अनेक रचनाओं का संग्रह-ग्रन्थ है और 'नाममाला' कोष-काव्य है। 'नाटक समयसार' अमृतचंद्राचार्य के कलशों का एक तरह से पद्यानुवाद है, किन्तु कवि की मौलिक सूझबूझ के कारण इसके अध्ययन में स्वतंत्र कृतिसा आनन्द पाता है। यह ग्रंथराज अध्यात्मरस से सराबोर है। यह पाठ इसी नाटक समयसार के चतुर्दश गुणस्थानाधिकार के आधार पर लिखा गया है। विशेष अध्ययन के लिए मूलग्रन्थ का अध्ययन करना चाहिए। कवि अपनी प्रात्मा-साधना और काव्य- साधना दोनों में ही बेजोड़ हैं। २१ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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