Book Title: Tattvagyan Pathmala 1
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates इस प्रतिमा के योग्य यथोचित शुद्धि, वह निश्चय प्रतिमा है तथा त्यागरूप शुभ भाव, वह व्यवहार प्रतिमा है। साधक जीव ने दूसरी प्रतिमा में स्वस्त्री संतोषव्रत तो लिया था, लेकिन अब स्वरूपस्थिरता उसकी अपेक्षा बढ़ जाने से आसक्ति भी घट गई है, अतः छठवीं प्रतिमाधारी श्रावक नव वाड़ सहित हमेशा दिवस के समय एवं अष्टमी, चतुर्दशी आदि तिथि पर्व के दिन रात में भी ब्रह्मचर्य व्रत को पालता है और ऐसे अशुभ भाव नही उठने देने की प्रतिज्ञा करता है। प्राचार्य समन्तभद्र ने छठवीं प्रतिमा को रात्रिभुक्ति त्याग प्रतिमा भी कहा है। वैसे तो रात्रि भोजन का साधारण श्रावक को ही त्याग होता है; लेकिन इस प्रतिमा में कृत, कारित, अनुमोदनापूर्वक सभी प्रकार के आहारों का त्याग हो जाता है। ७. ब्रह्मचर्य प्रतिमा जो नव वाड़ि सहित विधि साथै, निशदिन ब्रह्मचर्य आराधै। सो सप्तम प्रतिमाधर ज्ञाता, शील शिरोमणि जगत विख्याता।।२ सातवी प्रतिमाधारी श्रावक की स्वरूपानंद में विशेष लीनता (शुद्ध परिणति) बढ़ जाने से आसक्ति भाव और भी घट जाता है, अत: हमेशा के लिए दिन व रात में अर्थात् पूर्ण रूप से नव वाड़ सहित ब्रह्मचर्य व्रत पालता है और उपरोक्त प्रकार से भाव नहीं होने देने की प्रतिज्ञा लेता है, अंतः उसकी प्रवृत्ति भी तदनुकूल ही होती है। ऐसे श्रावक को शील-शिरोमणि कहा जाता है। ८. प्रारम्भत्याग प्रतिमा जो विवेक विधि प्रादरै, करै न पापारम्भ। सो अष्टम प्रतिमा धनी, कुगति विजय रणथम्भ।। पाठवीं प्रतिमाधारी श्रावक की यथोचित शुद्धि निश्चय प्रतिमा है। संसार, देह, भोगों के प्रति उदासीनता व राग अल्प हो जाने के कारण उठने वाले विकल्प भी मर्यादित हो जाते हैं व बाह्यारंभ का त्याग व्यवहार प्रतिमा है। पाठवी प्रतिमाधारी श्रावक स्वरूपस्थिरतारूप धर्माचरण में विशेष सावधानी १ रत्नकरण्ड श्रावकाचार : आचार्य समन्तभद्र , श्लोक १४२ २ नाटक समयसार : बनारसीदास , चतुर्दश गुणस्थानाधिकार, छंद ६६ ३ वही, छंद ६८ २८ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69