________________ 80 ] वर्षों में तो ओपने इस क्षेत्र में चिरस्मरणीय रहे ऐसे मंगल चिह्न अङ्कित कर दिए जिसका संक्षिप्त परिचय इस स्तोत्रवली के अन्त में दिया गया है। आप जैन साहित्य के अतिरिक्त शिल्प, ज्योतिष, स्थापत्य, इतिहास तथा मन्त्रशास्त्र के भी अच्छे ज्ञाता हैं, अतः आपकी विद्वत्ता सर्वतोमुखी बन गई है तथा अनेक जैन-जैनेतर विद्वान्, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रथम श्रेणी के राजकीय अधिकारी और नेतृवर्ग को आकृष्ट किया है। आप अच्छे लेखक, प्रिय वक्ता एवं उत्तम अवधानकार भी हैं। " उदात्त कार्य-कलाप जीवन के विविध क्षेत्रों में विकास-प्राप्त व्यक्तियों के विस्तृत परिचय के कारण आप की ज्ञानधारा अधिक विशद बनी है, आपके विचारों में पर्याप्त उदात्तता आई है तथा आप धर्म के साथ ही समाज और राष्ट्र-कल्याण की दृष्टि को भी सम्मुख रखते रहे हैं। धार्मिक अनुष्ठानादि में भी आपकी प्रतिभा झलकती रही है तथा उसके फलस्वरूप उपधान-उद्यापन, उत्सव-महोत्सव आदि में जनता की अभिरुचि बढ़े ऐसे अनेक नवीन अभिगम आपने दिए हैं। जैनजनेतर हजारों स्त्री-पुरुष आपसे प्रेरणा प्राप्त करके आध्यात्मिक उत्कर्ष प्राप्त कर रहे हैं। ___ अष्टग्रहयुति के समय 'विश्वशान्ति जैन आराधना सत्र' की योजना आपके मन में स्फुरित हुई और पूज्य गुरुदेवों की सम्मति मिलने पर बम्बई महानगरी में उसका दस दिन तक अभूतपूर्व आयोजन हुआ। उस समय निकाले गए चलसमारोह में प्रायः एक लाख मनुष्यों ने भाग लिया था। इसके पश्चात् राष्ट्र के लिए सुवर्ण की आवश्यकता होने पर