________________ परिशिष्ट-२ साहित्य-कलारत्न, मुनि श्री यशोविजयजी महाराज के साहित्य एवं कला-लक्षी कार्यों की सूची [पू० मुनि श्री यशोविजयजी महाराज (इस ग्रन्थ के प्रधान सम्पादक तथा संयोजक) ने श्रुतसाहित्य तथा जैनकला के क्षेत्र में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सेवा की है। हिन्दी-साहित्य का पाठक-वर्ग भी प्रापकी कृतियों से परिचित हो, इस दृष्टि से यहाँ निम्नलिखित सूची प्रस्तुत की जा रही है। -सम्पादक) (1) स्वरचित एवं सम्पादित कृतियाँ १-'सुयश जिन स्तवनावली (सं० 1961) २-चन्द्रसूर्यमण्डल कणिका निरूपण (सं० 1962) ३-बृहत्संग्रहणी (संग्रहणीरत्न) चित्रावली (65 चित्र) (सं० 1968) ४-पांच परिशिष्ट3 (सं० 2000) ५-भगवान् श्रीमहावीर के 15 चित्रों का परिचय, स्वयं मुनिजी के हाथों से चित्रित (सं० 2015) ६-उपाध्यायजी महाराज द्वारा स्वहस्तलिखित एवं अन्य प्रतियों के आद्य तथा अन्तिम पृष्ठों की 50 प्रतिकृतियों का सम्पूट (पालबम्-चित्राधार) (सं० 2017) ७-आगमरत्न पिस्तालीशी (गुजराती पद्य) (सं० 2023) 1. इस कृति की अब तक आठ प्रावृत्तियाँ छप चुकी हैं। आठवी आवृत्ति वि. सं. 2000 में छपी थी। 2. इसमें से नौ गुजराती और एक हिन्दी स्तवन 'मोहन-माला' में दिये हैं। इसके अतिरिक्त इसमें मुनिजी द्वारा रचित गहुँली को भी स्थान दिया गया है। 3. ये परिशिष्ट बृहत्संग्रहणी सानुवाद प्रकाशित हुई है उससे सम्बन्धित हैं /