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92 : Sramana, Vol 66, No. 2, April-June 2015 विश्वविख्यात आबू पर्वत के जैन मन्दिरों के स्थापत्य एवं कला का विशद् विवेचन किया। गुजरात के प्रथम सोलंकी शासक भीमदेव प्रथम के मंत्री विमलशाह द्वारा निर्मित मन्दिर तथा सोलंकी नरेश भीमदेव द्वितीय के मंत्री तेजपाल द्वारा निर्मित मन्दिरों का उल्लेख करते हुए आपने इन मन्दिरों को जैन मन्दिरों में प्राचीनतम एवं जैन धर्म की पूजन पद्धति के अनुकूल बताया। व्याख्यान का प्रारम्भ जैन मंगलाचरण द्वारा हुआ। पश्चात् अतिथियों का स्वागत पार्श्वनाथ विद्यापीठ के संयुक्त निदेशक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया। डॉ० पाण्डेय ने संस्था का संक्षिप्त परिचय देते हुए इस प्रकार के व्याख्यानों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। अतिथियों का माापण कर स्वागत डॉ० राहुल कुमार सिंह, रिसर्च एसोसिएट तथा डॉ० ओमप्रकाश सिंह, पुस्तकालयाध्यक्ष ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० राहुल कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर ओटावा विश्वविद्यालय की प्रो० एन वलेली, मिरेला स्टोसिक, लीह ड्रपो, रैंडी फ्रोट्स, जोसन पिनेयू, स्टेफनी माल्टाइस, काइले वाल्डेन, चण्टल वाल, जेसिका फोर्ड, जे०सी० आयर्स, लिण्डशे इसेलेर, निकोलस अब्रान्स, जूलिया कन्सरेला तथा आशीष पिम्प्ले एवं डॉ० कामिनी गोगरी, मुम्बई यूनिवर्सिटी आदि उपस्थित थे। व्याख्यान के दौरान संस्थान के डॉ० मलय कुमार झा, डॉ० रुचि राय, श्री राजेश कुमार चौबे तथा अन्य विद्वान उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में आभार प्रदर्शन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया। प्रो० मारुतिनन्दन तिवारी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में
प्रोफेसर-एमरिटस के पद पर नियुक्त भारतीय कला-इतिहास, विशेषत: जैन कला एवं प्रतिमाविज्ञान के क्षेत्र में विश्वस्तरीय विद्वान प्रो० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी की काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कला इतिहास विभाग में प्रोफेसर एमरिटस के रूप में नियुक्ति हुई है। प्रो० तिवारी पार्श्वनाथ विद्यापीठ के शोध छात्र रहे हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार आपकी इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है। डॉ० दीनानाथ शर्मा प्राकृत विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय में
प्रोफेसर नियुक्त ... पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व प्रवक्ता एवं वर्तमान में प्राकृत विभाग, गुजरात विश्वविद्यालय में रीडर के पद पर कार्यरत प्राकृत भाषा के बहुश्रुत विद्वान् डॉ० दीनानाथ शर्मा को