Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 201
________________ गुजराती अनुवाद २२८. त्यारबाद शियालीयाओ जेम-जेम फेल्काटो छोडे छे अने जंगली प्राणीओ विविध प्रकारे अवाज करे छे तेम-तेम ते जंगलमा भय वड़े माझं हृदय कम्पवा लाग्युं. हिन्दी अनुवाद उसके पश्चात् जैसे-जैसे सियारिन हुआं-हुआं करती हुई चिल्लाती, जंगली जीव भिन्न-भिन्न प्रकार की आवाजे निकालते वैसे-वैसे उस जंगल में डर के मारे मेरा हृदय कांपने लगा। गाहा अह अह-रत्त-समए जाया उदरम्मि दूसहा वियणा । तव्वसओ य कणंती लुलामि भूमीए जाव अहं ।। २२९।। ताव य मिगीव रन्ने अइगुरु-वियणाहि पीडिय-सरीरा । सयमेव पसविया हं महा-किलेसेण नर-नाह ! ।। २३०।। संस्कृत छाया अथ अर्धरात्रसमये जातोदरे दुस्सहा वेदना । तद्वशतश्च क्वणन्ती लोलामि भूमौ यावदहम् ।। २२९ ।। तावच्च मृगीवाऽरण्येऽतिगुरुवेदनाभिः पीडितशरीरा । स्वयमेव प्रसूताऽहं महाक्लेशेन नरनाथ ! ।। २३० ।। युग्मम् ।। गुजराती अनुवाद २२९-२३०. (पुत्रजन्म)- तेटलामा अडधी राते पेटमा असह्य वेदना थवा लागी. ते वेदनाना कारणे कणसति हुँ भूमि पर ज्यां आलोटु छु तेटलीवारमा तो हरणियानी जेम अति भारे वेदनाओथी पीडित शीरवाली में हे नरनाथ! प्रसव कर्यो। (जन्म आप्यो) हिन्दी अनुवाद इतने में आधीरात के समय पेट में असह्य दर्द उठने लगा। उस दर्द के कारण कराहती मैं जब भूमि पर लोटने लगी, तभी हरिणी की तरह भारी शरीर वाली मुझे प्रसव हुआ। (बालक को जन्म दिया)

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