Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 204
________________ गाहा केसरि-वग्घाईणं मंसाहाराण कूर - सत्ताणं । भीसण- अडवी-पडिया रक्खेयव्वा पयत्तेण ।। २३६ ।। संस्कृत छाया केशरिव्याघ्रादीनां मांसाहाराणां क्रूरसत्त्वानाम् । भीषणाटवीपतिता रक्षितव्या प्रयत्नेन ।। २३६ ।। गुजराती अनुवाद २३६. सिंह वाघ आदि मांसाहारी क्रूरप्राणी ओथी आ भयंकर अटवीमां पडेलां अमारूं प्रयत्न पूर्वक रक्षण करवुं. हिन्दी अनुवाद सिंह, बाघ आदि मांसाहारी क्रूर जीव से इस भयंकर जंगल में प्रयत्न पूर्वक हमारी रक्षा करो। गाहा जइ पुत्त! इमा रयणी होंता मह तम्मि हत्थिणपुरम्मि । ता एत्तिय - वेलाए राया वद्धाविओ होंतो ।। २३७।। संस्कृत छाया यदि पुत्र ! इयं रजनी अभविष्यत् मम तस्मिन् हस्तिनापुरे । तदा एतावन्वेलायां राजा वद्धार्पितोऽभविष्यत् ।। २३७ ।। गुजराती अनुवाद २३७. हे पुत्र ! जो आ रात्रि ते हस्तिनापुर नगरमां होत तो आटलीवारमां तो राजाने वधामणी प्राप्त थई गई होत ! हिन्दी अनुवाद हे पुत्र ! आज की रात यदि हम हस्तिनापुर में होते, तो इतने समय में राजा को बधाई संदेश भी प्राप्त हो गया होता। गाहा सयलस्स परियणस्स य पुरस्स सामंत मंति- वग्गस्स । कस्स व न होज्ज तोसो पुत्तय! तुह जम्म- समयम्मि ।। २३८ ।।

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