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दीर्घवनराजयः सर्पसच्क्षा श्यन्ते ।
पालिसक्षा गिरयः सरणीसशाः सरितः ।। १८० ।। गुजराती अनुवाद
१८१-१८०. चालता मानवो तथा गाम मे नगरो कीडियाटा समान..तथा पाणीथी भरेला सोवो पृथ्वी पर पडेला छा समान...मोटी वनराजीओ सर्प समान...पर्वतो पाली समान... तथा नदीओ नीक समान..देखाती हती...युग्मम. हिन्दी अनुवाद
चलते मानव तथा गाँव और नगर चींटी के समान, पानी से भरे तालाब पृथ्वी पर रखे छाते के समान, बड़े वृक्षों की कतारें सांप के समान, पहाड़ मेड़ के समान तथा नदियाँ नाली के समान दिख रही थीं। गाहा
अह दूरमइगयाए संभरिओ अंगुलीयग-मणी सो।
अवहत्थिय ताहि भयं पहओ सो तेण कुंभ-यडे ।।१८१।। संस्कृत छाया
अथ दूरमतिगतया संस्मृतोऽगुलीयकमणिः सः ।
अपहस्तयित्वा तदा भयं प्रहतः स तेन कुंभस्तटे ।। १८१ ।। गुजराती अनुवाद
___ १८१. दूर गया पछी मने आंगलीमा रहेलो पेलो मणि याद आव्यो, त्यारे में भय छोड़ीने ते हाथीनां कुंथस्थल ऊपर घा कर्यो. हिन्दी अनुवाद
- दूर जाने के बाद अंगुली में पड़ी मणि याद आई। तब मैंने निडर हो हाथी के कुंभस्थल पर वार किया। गाहा
अविय। मणि-संजुय-कर-पहओ वज्जेणिव ताडिओ गइंदो सो। मोत्तुं गुरु-चीहाडिं अहोमुहो झत्ति गयणाओ ।।१८२।। जा निवडइ वेगेण ताव य हिट्ठा-मुहं नियंतीए । दिटुं महंतमेगं सरो-वरं भंगुर-तरंगं ।।१८३।।