Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 193
________________ समाप्त हो जाने के कारण वहाँ रहने में असमर्थ लोग अपशकुन की अवगणना कर अपने नगर में जाने के लिए उत्सुक हो चल पड़े। गाहा तत्तो बीय-पयाणे पभाय- समयम्मि तम्मि सत्यम्मि । सहसा अन्नाउच्चिय दिन्नो भिल्लेहिं ओक्खंदो ।। २१० ।। संस्कृत छाया ततो द्वितीयप्रयाणे प्रभातसमये तस्मिन् सार्थे । सहसा अज्ञात एव दत्तो भिल्लैरवस्कन्दः ।। २१० ।। गुजराती अनुवाद २१०. (सार्थमां धाड) त्यारबाद बीजा प्रयाणमां प्रभात समये ते सार्थ ऊपर अचानक अजाणता ज भीलोए धाड पाडी. हिन्दी अनुवाद उसके बाद दूसरे प्रयाण में सुबह के समय अन्जाने भीलों ने कारवां पर अचानक हमला कर दिया। गाहा अह कलयलं निसामिय सत्थ-जणे तत्थ आउलीभूए । भिल्लेहिं हम्ममाणे ल्हसिज्जंते य सयराहं । । २११।। सज्झस - भरिया अहमवि पडिया अडवीइ जाव इक्कल्ला । घेत्तूणं एग- दिसं नट्ठा अइगुविल- तरु-: - गहणे ।। २१२ ।। संस्कृत छाया अथ कलकलं निशम्य सार्थजने तत्राऽऽकुलीभूते । भिल्लै - र्हन्यमाने स्त्रस्यमाने च (सयराहं ) शीघ्रम् ।। २११ ।। साध्वसभृताऽहमपि पतिताटव्यां यावदेकाकी । गृहीत्वा एकदिशं नष्टाऽतिगुपिलतरुगहने ।। २१२ ।। गुजराती अनुवाद २११-२१२. 'हवे कोलाहल सांभलीने सार्थना प्रवासीओ आकुल व्याकुल थया. भीलो बड़े हणाये छते जल्दी सरकवा लाग्या. भय युक्त हूं

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