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पण एकली जंगलमां आवी पड़ी. त्यारे एक दिशा तरफ अतिगहन वृक्षोनी झाडी तरफ नाशी... हिन्दी अनुवाद
कोलाहल सुनकर कारवां के सभी लोग परेशान हो गए। भील द्वारा पराभूत हो जल्दी-जल्दी जाने लगे। डर के कारण मैं अकेले झाड़ी युक्त जंगल में आ गयी।
गाहा
खणमेगं तत्थच्छिय वयामि किल तम्मि सत्थ-ठाणम्मि । पुणरवि मिलामि जेणं सत्थस्स अहंति चिंतंती ।। २१३।. जाव पयट्टा गंतुं ताव न जाणामि कत्थ गंतव्वं ।
कत्तो समागया हं काए व दिसाए सो सत्थो ।। २१४।। संस्कृत छाया
क्षणमेकं तत्रस्थिता व्रजामि किल तस्म॑िस्सार्थस्थाने । पुनरपि मिलामि येन सार्थस्यऽहमिति चिन्तयन्ती ।। २१३ ।।. यावत् प्रवृत्ता गन्तुं तावन्न जानामि कुत्र गन्तव्यम् ।
कुतस्समागताऽहं कस्यां वा दिशायां स सार्थः ।। २१४ ।। युग्मम् गुजराती अनुवाद
२१३-२१४. क्षणमात्र त्यां रही पुनः ते सार्थना स्थाने जवू अने फरी ते सार्थने हुँ मलूं सम विचारती जवा माटे तैयार तो थई पण क्या जवू ते जाणी न शकी. क्याथी हुं आवी छु अने कइ दिशामां ते सार्थ छे ते पण न जणायु. हिन्दी अनुवाद
मैं वहाँ कुछ देर रही फिर कारवां में मुझे वापस जाना चाहिए, यह सोचकर जाने के लिए तैयार हो गयी। किन्तु कहाँ जाऊं? मैं कहां से आई हूँ? और मेरा कारवां किस दिशा में है? यह मैं न जान सकी। गाहा
भय-कंपंत-सरीरा ताहे एयं दिसं गहेऊण । संजाय-दिसा-मोहा चलिया तरु-गहण-मज्झेण ।। २१५।।