Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 183
________________ गाहा चलंत-भीम-गाहयं रडत-दद्रोहयं । मराल-पंति-सोहियं तमाले-ताल-रेहियं ।। १८७।। संस्कृत छाया चलभीमग्राहकं रटन्द१रौघकम् । मरालपतिशोभितं तमालतालराजितम् ।। १८७ ।। गुजराती अनुवाद · १८०. चालता भयंकर ग्राह जंतुओ ज्यां छे. अवाज करता देडकाओना समूह ज्यांछे, राजहंसनी पंक्तिओथी मनोहर, तमाल अने लालना झाडथी सुंदर. हिन्दी अनुवाद जिसमें मगर आदि अनेक भयंकर जीव चलते हैं, जिसमें मेढकों का समूह टर-टर की आवाज करता है तथा जो तमाल के पेड़ों तथा राजहंस की पंक्तियों से शोभित है। गाहा रणंत-छप्पयालियं बलाय-पंति-मालियं । फुरंत-सिप्पि-संपुडं भमंत-भीम-दीवडं ।।१८८।। संस्कृत छाया रणत्वट्पदालिकं बलाकापतिमालिकम् । स्फुरत्शुक्तिसम्पुटं प्रमभीमदीवडम ।। १८८ ।। गुजराती अनुवाद . १८८. रणकार करता अपराओनी श्रेणिवालुं, छगलाओनी हारमाला थी शोधतुं, सुंदर छीपलाओना संपुटवावं, अमता भयंकर दीपडाथी आकुल. हिन्दी अनुवाद - जिसमें भंवरों की श्रेणियां गुंजार कर रही हैं, जो बकुलों की पंक्तिमाला से शोभित है, जिसमें सुन्दर सीपों के सम्पुट हैं तथा जो भयंकर विशेष प्रकार के जीवों से आकुल है। गाहा अह तम्मि नीर-पुन्ने अणोरपारम्मि सर-वरे हत्थी। गयणाओ नीसहंगो पडिओ बुड्डो य जल-मज्झे ।।१८९।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210