Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 189
________________ गुजराती अनुवाद २००. तेथी हे बहेन! क्या कारणथी तुं अहीं सकली थइ छे? आ प्रमाणे तेणे कर्वा तेथी हुँ तरत भयरहित थई। हिन्दी अनुवाद हे भगिनी! किस कारण से तुम यहाँ अकेली हो गयी हो? उसके ऐसा कहने पर मैं तुरन्त भयरहित हो गयी। गाहा तत्तो य मए सिट्ठो गयावहाराइ-नियय-वुत्तंतो। अह दिन्न-वयण-सोया भणिया वणिएण तेणाहं ।। २०१।। संस्कृत छाया ततश्च मया शिष्टो गजाऽपहतादिनिजवृत्तान्तः । अथ दत्तवदनशौचा भणिता वणिजेन तेनाऽहम् ।। २०१ ।। गुजराती अनुवाद २०१. त्यारबाद में हाथी द्वारा अपहरणनो माटो वृत्तांत कह्यो-पछी ते वाणियास मुख शुद्धि करावी ओ पछी मने कह्यु. हिन्दी अनुवाद उसके बाद हाथी के द्वारा किए अपहरण के वृत्तान्त को मैंने उसे सुनाया। उसके बाद उस बनियें ने मुख शुद्धि कराने के बाद मुझसे कहा। गाहा दूरम्मि हत्थिणपुरं सावय-चोरेहिं दुग्गमो मग्गो । आसन्नं खु कुसग्गं किं कायव्वं तुमे भगिणि!? ।। २०२।। संस्कृत छाया दूरे हस्तिनापुरं श्वापदचौरै-टुंगमो मार्गः । आसन्नं खलु कुशाग्रं किं कर्तव्यं त्वया भगिनि !? ।। २०२ ।। गुजराती अनुवाद २०२. हस्तिानापुर नगर दूर छे. दुष्ट प्राणीओ तथा चोरो थी व्याप्त दुर्गम मार्ग छे. कुशायनगर नजीकमां छे, तो हे भगिनी! तारे | करवू छे?

Loading...

Page Navigation
1 ... 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210