Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 170
________________ गाहा - इय चिंतिऊण राया निय- देस पलोयण- च्छलेणं तु । गुरु- सेणा - परियरिओ नीहरिओ हत्थिण- पुराओ ।। १५५ ।। संस्कृत छाया इति चिन्तयित्वा राजा निजदेशप्रलोकनच्छलेन तु । गुरुसेनापरिकरितो निःसृतो हस्तिनापुरात् ।। १५५ ।। गुजराती अनुवाद १५५. आ प्रमाणे विचारीने पोताना देशने जोवाना बहानाथी मोटी सेनाथी परिवरेलो राजा हस्तिनापुर थी नीकलयो ! हिन्दी अनुवाद यह विचार कर राजा अपने देश का दौरा करने के बहाने बड़ी सेना लेकर हस्तिनापुर से निकल गया। गाहा कइवय-पयाणगाइं गंतुं उत्तंग- गिरि- समाइन्ने । अइगुविल- तरु-सणाहे अडवि-पएसम्मि एगम्मि । । १५६ । । आवासिओ ससेन्नो अह कूवे दीह - तण - समोच्छइए । कहवि हु पमाय-वसओ पडिया रन्नो चमर- हारी ।। १५७ ।। युग्मं संस्कृत छाया कतिपयप्रयाणकानि गत्वोतुङ्गगिरिसमाकीर्णे । अतिगुपिलतरुसनाथेऽटवीप्रदेशे एकस्मिन् ।। १५६ ।। आवसितः ससैन्य अथकूपे दीर्घतृणसमवच्छन्ने । कथमपि खलु प्रमादवशतः पतिता राज्ञः चामरधारिणी । । ।। १५७।। युग्मम् गुजराती अनुवाद १५६-१५७. केटलाक प्रयाणो करीने उंचा पर्वतोथी व्याप्त, खूबज गहन वृक्षोना समुदायवाला एक जंगलना प्रदेशमां सैन्य सहित राजा रहयो, हवे लांबा घास थी आच्छादित कुवामां कोइक प्रमादना वशथी राजानी चामरधारी ते कुवामां पडी. युग्मम् ।

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