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गाहा
कइया व कहव पडिया भीसण-कूवम्मि एत्थ अडवीए? ।
कमलावईइ भणियं सुणसु महा-राय! साहेमि ।।१७३।। संस्कृत छाया
कदा वा कथं वा पतिता भीषणकूपेऽत्राटव्याम् ? ।
कमलावत्या भणितं श्रृणु महाराज ! कथयामि ।। १७३ ।। गुजराती अनुवाद
१८३. क्यारे अने केवी रीते तुं आ जंगलमा भीषण कूदामां पडी त्यारे कमलावती र कडं हे महाराजा! हुं कहुं छु, आप सांथलो. हिन्दी अनुवाद
कब और कैसे तूं इस जंगल के भीषण कुएं में गिरी? तब कमलावती ने कहा, महाराज मैं बता रही हूँ सुनिए।
गाहा
वड-पायवम्मि लग्गे देवे तं विलग्गिउं असत्ता हं।
वेग-पहाविय-करिणा हरिया एगागिणी ताव ।।१७४।। संस्कृत छाया
वटपादपे लग्ने देवे तं विलगितुमशक्ताहम् ।
वेगप्रधावितकरिणा हृता एकाकिनी तावत् ।। १७४ ।। गुजराती अनुवाद
१८४. (कमलावती राणीनो वृत्तांत)- आपे वडना झाडने पकड़ी लीधुं पण हु पकडवा असमर्थ बनी तेटली वारमां तो वेगथी दोडता हाथीए मने स्कलीने धारण कटी. हिन्दी अनुवाद
___ आपने पेड़ की डाल को पकड़ लिया था किन्तु मैं नहीं पकड़ सकी। इतनी देर में शीघ्रता से दौड़ता हुआ हाथी आया और मुझ अकेली को धारण कर लिया। गाहा
अह सो गिरि-सरियाए विसम-तडिं पाविऊण सहसत्ति । अइवेग-भंग-भीउव्य नह-यलं झत्ति उप्पइओ ।।१७५।।