________________
गुजराती अनुवाद
१६०. ते पुरुषे ते स्त्रीने कां- 'हे सुतनो! श्री अमरकेतुनामना राजानी आज्ञा थी तने बचाववा बहार काढवा फटी हुं अहीं आव्यो छु. हिन्दी अनुवाद
__ उस पुरुष ने उस स्त्री से कहा, 'हे देवि श्री अमरकेतु नामक राजा की आज्ञा से तुम्हें बचाने के लिए अथवा बाहर निकालने हेतु पुनः यहाँ आया हूँ। गाहा
ता आरुह मंचीए नरगागाराओ अंध-कूवाओ। जेणुत्तारेमि लहुं एयं च निसम्म सा वयणं।।१६।। आरूढा मंचीए कमेण उत्तारिया तओ देवी ।
दुब्बल-देहा रन्ना कहकहवि हु पच्चभिन्नाया ।।१६९।। संस्कृत छाया
तस्मादारोह मञ्चायां नरकागारादन्यकूपात् । येनोत्तारयामि लघु एतच्च निशम्य सा वचनम् ।। १६८ ।। आरूढा मञ्चायां क्रमेणोतारित्ता ततो देवी ।
दुर्बलदेहा राज्ञा कथंकथमपि खलु प्रत्यभिज्ञाता ।।१६९।। युग्मम्।। गुजराती अनुवाद
१६८-१६९. (कूवामाथी राणीनी प्राप्ति)
तेथी मांचा उपर बेसी जा जेथी अंधकूवामाथी तने जल्दी बहार काढुं आ वचन सांधलीने ते स्त्री मांचा उपर चढ़ी गई. क्रमथी तेने बहार काढ़ी. दुर्बल देहवाली ते देवीने राजास महामुश्केलीस ओलखी. (युग्म्म्) हिन्दी अनुवाद
इसलिए मंच के ऊपर बैठ जाओ जिससे अंधेरे से तुम्हें बाहर निकाला जा सके। यह सुनकर वह स्त्री मंच के ऊपर बैठ गई। बाहर निकलने के बाद दुर्बल शरीरवाली उस देवी को कठिनाई से राजा पहचान सके। गाहा
सावि य दट्टुं रायं रोवंती घग्घरेण सहेण । चरण-विलग्गा रन्ना अंसु-जलप्फुन्न-नयणेण ।।१७०।।