Book Title: Sramana 2015 04
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 171
________________ हिन्दी अनुवाद कितना प्रयाण कर ऊँचे पर्वतों से व्याप्त, गहन वृक्षों से युक्त एक जंगल प्रदेश में राजा सैनिकों सहित रहा। तभी लम्बी घास से ढके कुएं में असावधानीवश राजा का चामरधारी गिर पड़ा। युग्मम्। गाहा अह रन्ना आणत्तो पुरिसो रज्जु-प्पओगओ तत्थ । ओइन्नो संतमसे इओ तओ जाव गविसेइ ।।१५८।। ता एगत्थ-निलुक्कं पिच्छइ जुवई तडीइ अगडस्स । भय-कंपंत-सरीरं संतमसे तत्थ अच्चंतं ।। १५९।। संस्कृत छाया अथ राज्ञाऽऽज्ञप्तः पुरुषो रज्जुप्रयोगतस्तत्र । अवतीर्ण सन्तमस इतस्ततो यावत् गवेषयति ।। १५८ ।। तावदेकत्र निलीनां प्रेक्षते युवती तट्यामवटस्य । भयकम्पमानशरीरां सन्तमसे तत्राऽत्यन्तम् ।। १५९ ।। गुजराती अनुवाद १५८-१५९. हवे राजानी आज्ञा पामेला पुरुषो दोरडाना प्रयोगथी ते कुवामां उता. अंधारामां अहीं-तहीं ज्यां शोधे छे त्यां तो कुवाना किनारे अत्यंत अंधारामां एक बाजु छुपायेली तथा भयथी धूजता शरीरवाली युवतीने जुवे छे. (युग्मम्) हिन्दी अनुवाद राजा की आज्ञा दिए हुए कुछ पुरुष रस्सी के सहारे कुएं में उतरे और अंधेरे में इधर-उधर खोजने लगे। तभी वे कुएं के एक किनारे अंधेरे में छुपी भय से काँपती युवती को देखते हैं। गाहा कासि तुमं इह सुंदरि! इइ पुट्ठा जा न देइ पडिवयणं । ताव य जल-मज्झ-गया विलासिणी कंठ-गय-पाणा।।१६०।। संपत्ता तेण तओ चित्तूण तयं कमेण नीहरिओ। वज्जरइ राय! एत्थं अन्नावि हु अच्छए जुवई ।।१६१।।

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