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गुजराती अनुवाद
११५-११६. राणी हाथीना अतिवेगने कारणे, चतुराइनो अभाव, स्त्री सहज स्वधाव, गर्धनी गुरुता तथा शरीरमां अयने कारणे कंप होवाथी अध्यवसाय कर्यो होवा छता ते शाखाने पकडवा ज्यारे समर्थ न बनी अने ते हाथी तो झडप थी त्यांथी पसार थई गयो! हिन्दी अनुवाद
रानी हाथी के अतिवेग के कारण चतुराई के अभाव, स्त्री सहज स्वभाव, गर्भ की गुरुता तथा शरीर भय के कारण कांपने के कारण चाह कर भी शाखा पकड़ने में समर्थ नहीं हो सकी और हाथी जल्दी से वहाँ से चला गया।
गाहा
अह गुरु-सोगो राया तहठिओ जा तओ पलोएइ ।
ता पिच्छइ गयणेणं जंतं बेगेण तं करिणं ।।११७।। संस्कृत छाया
अथ गुरुशोको राजा तथास्थितो यावत्ततः प्रलोकते ।
तावत् प्रेक्षते गगनेन यान्तं वेगेन तं करिणम् ।। ११७ ।। गुजराती अनुवाद
११८. हवे त्यां रहेलो शोकातुर राजा त्यांथी ज्यां नजर करे छे त्यां तो आकाशमार्गे जतां ते गजराजने जोयो... हिन्दी अनुवाद
तब शोकाकुल राजा ने जहाँ तक दृष्टि जा सकती थी आकाश मार्ग से जाते हुए हाथी को देखा। गाहा
अह विम्हिओ मणेणं चिंतइ राया अहो! महच्छरियं ।
मोत्तुं भूमि-पयारं वच्चइ हत्थी नह-यलेण ।।११८।। संस्कृत छाया
अथ विस्मितो मनसा चिन्तयति राजा अहो ! महदाश्चर्यम् । मुक्त्वा भूमिप्रचारं व्रजति हस्ती नभस्तलेन ।। ११८ ।।