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भणितं प्रविशतु शीघ्रं पृच्छामो येन देवीवृत्तान्तम् ।
वचनानन्तरमेष प्रवेशितो द्वारपालेन ।। १३९ ।। गुजराती अनुवाद
१३०-१३९. (सुमति नैमित्तिकनुं आगमन)- द्वारमा सुमति नामनो नैमित्तिक आवी उधो छे, ते सांधली राजार का 'शुं ते जे पेलो सुमति निमित्तियो, के जेना आदेशथी त्यारे नरवाहन वड़े मने देवी अपाई हती... त्यारे बाजुमां रहेला लोकोस कडं हे नरेन्द्र! हा. एज.. त्यारे राजार कह्यु जल्दीथी तेने प्रवेश आपो, जेथी देवीनो वृत्तांत पूर्छ' राजाना आ वचन बाद तरत ज द्वारपाले नैमित्तिकनो प्रवेश कराव्यो. (त्रिभिः विशेषकम) हिन्दी अनुवाद
दरवाजे पर सुमति नाम का ज्योतिषीं आकर खड़ा है। ऐसा सुनकर राजा ने कहा, 'क्या यह वही सुमति है जिसके आदेश पर नरवाहन की तरफ से मुझे देवी प्राप्त हुई थीं। तब पास में रहने वाले लोगों ने कहा कि हां, राजन! यह वही है। तब राजा ने कहा, 'शीघ्र उन्हें अन्दर ले आओ, जिससे उनसे हम देवी का वृत्तान्त पूछ सकें। राजा के इस वचन के बाद द्वारपालों ने ज्योतिषी का महल में प्रवेश कराया। गाहा
कय-उवयारो रन्ना उवविट्ठो विणय-पुव्ययं सुमई।
आपुट्ठो, किं देवी जीवइ व नवत्ति वज्जरसु? ।। १४०।। संस्कृत छाया
कृतोपचारो राज्ञा उपविष्टो विनयपूर्वकं सुमतिः ।
आपृष्टः, किं देवी जीवति वा नवेति कथय ? ।। १४० ।। गुजराती अनुवाद
१४०. करायेल उपचारवालो सुमति नैमित्तिक विनयपूर्वक बेठो, त्यारे राजार पूछयु 'शुं महाराणी जीवे छे के नहीं ते कहो! हिन्दी अनुवाद
- स्वागत आदि किए गये उपचार के बाद सुमति ज्योतिषी विनयपूर्वक बैठा। तब राजा ने उससे पूछा कि महारानी जीवित हैं या नहीं।