________________
गाहा
उaओगं दाऊणं भणियं अह सुमइणा जियइत्ति ।
अक्खय-देहा संपइ मिलिया इव बंधु- वग्गस्स ।। १४१ ।।
संस्कृत छाया
उपयोगं दत्त्वा भणितमथ सुमतिना जीवतीति ।
अक्षयदेहा सम्प्रति मीलितेव बन्धुवर्गस्य ।। १४१ ।।
गुजराती अनुवाद
१४१. (नैमित्तिक द्वारा राणी वृत्तांत) -
उपयोग आपीने सुमति नैमित्तिके कह्युं 'ते जीवे छे.. अखंड देहवाली हमणां बंधुवर्गने मलेली जाणे जणाय छे.
हिन्दी अनुवाद
ज्ञान से देखकर ज्योतिषी ने कहा कि 'वह जीवित है। अखण्ड देहवाली देवी अपने बन्धु बांधवों को मिल गयी हैं, ऐसा लगता है।
गाहा
कइया समागमो मह तीए, किं वा हवेज्ज से गब्भे ? | इय पुट्ठो नर - वइणा कय- उवओगो पुणो भाइ ।। १४२ ।।
संस्कृत छाया
कदा समागमो मम तस्याः, किंवा भवेत्तस्या गर्भे ? ।
इति पृष्टो नरपतिना कृतोपयोगः पुनर्भणति ।। १४२ ।।
गुजराती अनुवाद
१४२. 'ते राणीनो मने समागम क्यारे थशे? तेणीना गर्भनुं शुं थशे ? आ प्रमाणे राजा वड़े पूछायेल नैमित्तिके उपयोग मूकीने फरी आ प्रमाणे बोल्यो.
हिन्दी अनुवाद
उस रानी से मेरा मिलन कब होगा? उसके गर्भ का क्या होगा? ऐसा ज्योतिषी से पूछने पर उसने कहा ।
गाहा
जइया नरिंद! सुविणे गिण्हसि विसम-ट्ठियं कुसुम - मालं । तत्तो य मास- मित्ते समागमो तुम्ह देवीए ।। १४३।।