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गुजराती अनुवाद
४४-४५. आ प्रमाणे विचार करतां लोकरहित सकांतस्थानमां निश्चल देहवालो राजा ऋण दिवस गये छते राचिना छेल्ला प्रहरमां अंधकारनो नाश करनार सवा देदीप्यमान पुरुषने जोइने विचारे छे. (युग्मम्) हिन्दी अनुवाद
इस प्रकार विचार करते हुए एकान्त स्थान में जहाँ लोगों का आना जाना न हो, निश्चल शरीर वाला राजा तीन दिन बैठकर रात्रि के अन्तिम पहर में, जिसने समस्त अन्धकार समूह का नाश कर दिया है, ऐसे देदीप्यमान पुरुष को देखकर विचार करता है। (युग्मम्) गाहा
निमिसंति लोयणाइ ता किं एसो न होइ देवोत्ति ।
न य मणुयाण सरीरे जायइ एवंविहा दित्ती ।।४६।। संस्कृत छाया
निमिषतो लोचने तस्मात्किमेष न भवति देव इति ।
न च मनुजानां शरीरे जायतैवंविधा दीप्तिः ।। ४६ ।। गुजराती अनुवाद
४६. पलकारा युक्तलोचनवालो होवाथी आ देव तो न होइ शके, तथा मनुष्योना शरीरमां आवा प्रकारनी कांति नथी होती। हिन्दी अनुवाद
आखों की पलकें हिलने से यह देव तो नहीं हो सकता और मनुष्यों के शरीर में ऐसी कान्ति सम्भव नहीं है।
गाहा
ता होज्ज इमो को पुण चरणावि महिं फुसंति नेयस्स ।
एवं विगप्पयंतो राया आभासिओ तेण ।। ४७।। संस्कृत छाया
तर्हि भवेदयम् कः पुनश्चरणावपि महीं स्पृशतो नैतस्य । एवं विकल्पयन् राजा आभाषितस्तेन ।। ४७ ।।