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संस्कृत छाया
जिनमन्दिरयात्राणि कारापितं तदा राज्ञा सर्वम् ।
कमलावत्यपि ततो जाताऽऽपन्नसत्त्वेति ।। ९६ ।। गुजराती अनुवाद
९६. कमलावतीनुं गर्भधारण तथा दोहद (गर्भिणी स्त्री का मनोरथ) -
त्यारबाद राजास जिनमंदिरामा यात्रा विगेरे सर्व अनुष्ठान कराव्या, त्यारबाद कमलावती पण गर्भवती थईहिन्दी अनुवाद
उसके बाद राजा ने जिनमन्दिर में यात्रा आदि सभी अनुष्ठान कराया। उसके बाद कमलावती भी गर्भवती हो गयी। गाहा
सुह-संपडत-हिय-इट्ठ-वत्थु-सुविणीय-परियण-जुयाए ।
अह सत्तमम्मि मासे जाओ देवीए दोहलओ ।।९७।। संस्कृत छाया
सुखसम्पहृदयेष्टवस्तुसुविनीतपरिजनयुतायाः ।
अथ सप्तमे मासे जातो देव्या दोहदकः ।। ९७ ।। गुजराती अनुवाद
१८. सुखपूर्वक प्राप्तथती हितकारी इष्ट वस्तु तथा विनीत परिवार थी युक्त महाराणीने हवे सातमे महिने दोहद थयो. हिन्दी अनुवाद
सुखपूर्वक सभी इच्छित वस्तुओं तथा विनीत परिवार के साथ रहती हुई रानी को सातवें महीने में दोहद हुआ। गाहा
लज्जाए तं कस्सवि जाहे न कहेइ ताव कइयावि ।
परिहायंत-सरीरा दिट्ठा रन्ना इमं भणिया ।।९८।। संस्कृत छाया
लज्जया तं कस्याऽपि यदा न कथयति तावत् कदाऽपि । परिहीयमानशरीरा छटा राजेदं भणिता ।। ९८ ।।