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संस्कृत छाया
विनय-नतेन ततो धनदेवेन इदन्तु विज्ञप्तः ।
देव्याः प्रियभगिनी कथयति इदं महाराज ! ।। १८ ।। गुजराती अनुवाद
१८. त्यारबाद विनयथी नमेला धनदेवे राजाने विनंति की- 'हे महाराजा! महाराणीनी प्रियधगिनी कहे छे केहिन्दी अनुवाद
विनयावनत धनदेव ने राजा से विनती किया 'हे महाराज! महारानी की प्रिय भगिनी कहती है किगाहा
पसवंति पिउ-हरम्मी पढमं किल सयल-वणिय-जायाओ।
कारण-वसेण केणवि संजायं नेव तं मज्झ ।।१९।। संस्कृत छाया
प्रसवन्ति पितृगृहे प्रथमं किल सकलवणिजजायाः ।
कारणवशेन केनाऽपि सज्जातं नैव तन्मम ।। १९ ।। गुजराती अनुवाद
११. दरेक वणिक् स्त्रीओ पिताना घरे प्रसूति करे छे. परंतु कोई कारणवशात् मारे ते प्रमाणे थयुं नथी... हिन्दी अनुवाद
सभी वणिक स्त्रियाँ अपनी पहली प्रसूति पिता के घर पर ही करती हैं किन्तु किसी कारणवश से मेरे साथ ऐसा नहीं हो पाया।
ता देवि-दसंणेणं इहेव किल पिउ-हरंति मन्नामि ।
ता जइ इत्तिय-भूमिं आगच्छइ होइ ता लढें ।।२०।। संस्कृत छाया
तस्मात् देवीदर्शनेनेहैव किल पितृगृहमिति मन्ये ।
तस्माद्यदि इयभूमिमागच्छति भवति तदा लष्टम् (सुन्दरम्)।२०। गुजराती अनुवाद. २०. तेथी महाराणीना दर्शन वड़े अहीं ज हुं पिता- घर छे एम मानुं छु तेथी जो अहीं सुधी महाराणी पधारे तो सुंदर....