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विषय का नाम.
विषयांक.
१२२ देनेलेने में विवेकिओंका कार्य.
१२३ पुण्य प्रबल होवे तो गया हुआ धन भी पीछा मिल सकता है, इस पर आभ श्रेष्ठी की कथा
१२४ भाग्यहीनपुरुषने भाग्यशाली पुरुषका
आश्रय
पृष्ठांक.
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करना, इस पर एक मुनीमकी कथा १२५ लक्ष्मी प्राप्त होने पर भी अहंकार नहीं करना. १२६ धनवानों को अवश्य क्षमा और संप रखना.
१२७ न्यायकी रीति और जगह जगह न्याय करनेको जाने ऊपर एक श्रेष्ठकी कथा
१२८ पापकी अनुमोदना न करने पर दो मित्रोंकी कथा १२९ न्यायसे व्यापार करनेके ऊपर हेलाक श्रेष्ठी की कथा १३० विश्वासघात करने के ऊपर राजपुत्रकी कथा १३१ पापकी गुप्तलघु आदि चौभंगी
१३२ न्यायकी आवश्यकता और पुण्यपापकी कारण सहित चभंगी,
१३३ सत्य बोलने पर महणसिंहका तथा भीम सोनीका
दृष्टांत
१३४ मित्र कैसा रखना ? उसका स्वरूप १३५ साक्षी रखे बिना द्रव्य न देने पर धनेश्वर श्रेष्ठीकी कथा.
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