Book Title: Shraddh Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Jain Bandhu Printing Press

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (९) विषयांक. विषय का नाम. पृष्ठांक. लाभ और उस पर प्रदेशीराजा थावच्चापुत्रकी कथा. ३४७ १०८ उपदेशश्रवण और ज्ञानका फल वर्तनही है. ३५६ १०९ साधु मुनिराजको निमंत्रण करने तथा वहोरानेका फल ३६० ११० सायमुनिराजको निमंत्रण करनेपर जीर्णश्रेष्ठी और अभिनवश्रेष्ठिका दृष्टान्त और बीमार की वेयावच्च करनेकी आवश्यकता ३६१ १११ साध्वियोंकी सारसम्हाल करनेका विचार ३६३ ११२ विद्याभ्यासकी आवश्यकता, ३६४ ११३ न्याय करने पर यशोवर्माराजाकी कथा ३६५ ११४ आजीविका करने के सात उपाय . ३७१ ११५ बुद्धिसे कार्य करनेके ऊपर धनश्रेष्ठिके पुत्रकी कथा, ३७५ ११६ गजसेवाकी श्रेष्ठता और रांपीप्रधान की कथा . ३७६ ११७ तीनप्रकारकी भिक्षा ऋतआदिआजीविकाका स्वरूप. ३८३ ११८ द्रव्यका साधन ऐसा व्यापार का विचार. ३८७ ११९ द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव इन चारप्रकारसे व्यवहारशुद्धि तथा विरोधीमनुष्यके साथ व्या. पार न करना उसका स्वरूप ३८८ १२० उधार नहीं देनेकी शिक्षा ऊपर मुग्धपुत्रकी कथा ३९० १२१ ऋण न रखनेके विषयमें ऋण भवांतरमें भी ... देना पडता है, इस पर भावडश्रेष्टीकी कथा । ३९३

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 820