Book Title: Shatkhandagama Pustak 12
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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विषय
अनुभागबन्धस्थानान्तर योगस्थानान्तरों के समान नहीं हैं इसका विचार
जघन्य स्थानसे द्वितीय स्थानके प्रमाणका विचार व उनमें स्पर्धक प्ररूपणा आगे भी तृतीयादि स्थानों के प्रमाणका विचार
जघन्यादि स्थानोंमें षट्स्थान प्ररूपणा व स्थानोंका अल्पबहुत्व
काण्डकप्ररूपणा
काण्डकप्ररूपणा के प्रसंगसे अनुभागबन्ध और अनुभाग सत्कर्मका अल्पबहुत्व
काण्डकशलाकाका प्रमाण अनन्तभागवृद्धि आदिका प्रमाण अनन्तभागवृद्धि आदिका अल्पबहुत्व ओजयुग्म प्ररूपणा
षट्स्थानप्ररूपणा अनन्तभागवृद्धिविचार असंख्यात भागवृद्धिविचार
संख्यात भागवृद्धिविचार
संख्यातगुणवृद्धि विचार असंख्यात गुणवृद्धिविचार
अनन्तगुणवृद्धि विचार जघन्यादि स्थानों में अनन्तभागवृद्धि आदिका विचार
जघन्य स्थानमें अनन्तभागवृद्धि आदिकी
प्रमाणप्ररूपणा
प्रथम अष्टांकसे लेकर ऊर्वेकतक प्राप्त होनेवाली अनन्तगुणवृद्धि के विषय में तीन अनुयोगद्वारों की प्ररूपणा
अधस्तनस्थानप्ररूपणा
समयप्ररूपणा
चारसमयवाले आदि अनुभागबन्धाध्यवसानस्थानों का प्रमाण
चार समयवाले आदि सब अनुभागबन्धाध्यवसान स्थानोंका अल्पबहुत्व प्रसंग अकायिक, कायस्थिति व अनुभागस्थानका अल्पबहुत्व
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विषय
वृद्धिप्ररूपणा
छह वृद्धि और छह हानियोंके अवस्थानकी प्रतिज्ञा
पाँच वृद्धि और पाँच हानियोंका काल अनन्तगुणवृद्धि और अनन्तगुणहानिका
काल
कालविषयक अल्पबहुत्व
यवमध्यप्ररूपणा पर्यवसानप्ररूपणा
अल्पबहुत्वप्ररूपणा
अनन्तरोपनिधाकी अपेक्षा अल्पबहुत्व
विचार
परम्परोपनिधाकी अपेक्षा अल्पबहुत्व
विचार
अनुभागसत्कर्मस्थानविचार अनुभागबन्धस्थानसे अनुभाग सत्कर्म में क्या अन्तर है इसका विचार घातस्थानों की प्ररूपणा
दो प्रकार के घातपरिणामोंका विचार सत्त्वस्थान कहाँ होते हैं इसका विचार प्रथमादि परिपाटी क्रमसे हतसमुत्पत्तिस्थानोंका विचार
हतहत समुत्पत्तिस्थानविचार स्थितिस्थानों में अपुनरुक्त स्थानोंका विचार
बन्ध समुत्पत्ति आदि स्थानोंका अल्पबहुत्व
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तीसरी चूलिका
जीव समुदाहारमें आठ अनुयोगद्वार जीवसमुदाहार और आठ अनुयोगद्वारोंकी सार्थकता
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एकस्थान जीवप्रमाणानुगमविचार निरन्तरस्थान जीवप्रमाणानुगमविचार सान्तरस्थान जीवप्रमाणानुगम नानाजीवकालप्रमाणानुगम वृद्धिप्ररूपणा और उसके दो अनुयोगद्वार २४६
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