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५. सामायिक का विषय
यहां सामायिक के विषय की व्यापकता बताई जा रही है।
(१) सम्यक्त्व सामायिक का विषय समस्त द्रव्य और समस्त पर्याय हैं, क्योंकि सम्यग्दृष्टि आत्मा जिन-प्रणीत समस्त द्रव्यों एवं समस्त पर्यायों में श्रद्धा रखता है। एक पर्याय के प्रति भी अश्रद्धा मिथ्यात्व है। इस प्रकार सम्यक्त्व-सामायिक में समस्त द्रव्य-पर्याय श्रद्धा रूप में विषय होते हैं ।
(२) श्रुत सामायिक का विषय समस्त द्रव्य और अनेक पर्याय होते हैं, क्योंकि श्रुतबोध (ज्ञान) कथनीय (शब्द-वाच्य) पर्यायों का ही बोधक होता है, परन्तु वह शब्दों के द्वारा अवाच्य पदार्थों को नहीं बता सकता।
(३) देशविरति सामायिक का विषय अमुक द्रव्य और अमुक पर्याय ही बनते हैं, क्योंकि उसमें स्थावर जीवों की हिंसा आदि का त्याग देश से किया जाता है।
(४) सर्वविरति सामायिक का विषय समस्त द्रव्य और अमुक पर्याय ही बनते हैं, क्योंकि उसमें दूसरे और पांचवे महाव्रत में समस्त द्रव्यविषयक असत्य एवं मूर्छा का त्याग किया जाता है, और जो पर्याय अवाच्य हैं उनका उपयोग नहीं हो सकता। अतः समस्त पर्याय चारित्र के विषय नहीं बन सकते।
प्रश्न-शास्त्रों में "संयम श्रेणी" के स्वरूप का वर्णन करते हुए बताया गया है कि संयम श्रेणी का प्रथम स्थान (सबसे जघन्य) भी पर्याय की अपेक्षा समस्त आकाश प्रदेशों से अनन्तगुणा है, और तत्पश्चात् के स्थान अनन्त भागवृद्ध, असंख्य भागवृद्ध संख्यात भागवृद्ध, संख्यात गुणवृद्ध, असंख्यात गुणवृद्ध और अनन्त गुणवृद्ध, ऐसे छः प्रकार की पुनः वृद्धि करतेकरते असंख्यात लोकाकाश प्रदेश-तुल्य-प्रमाण वाले असंख्यात षड् स्थानकों के द्वारा “संयम श्रेणी" होती है, तो फिर यहाँ समस्त पर्याय चारित्र के विषयभूत नहीं बन सकते । क्या इस विधान का पूर्वोक्त "संयम श्रेणी" के विधान के साथ विरोध नहीं आयेगा ?
उत्तर-नहीं, विरोध नहीं आयेगा, क्योंकि "संयम श्रेणी" में केवल
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