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सर्वज्ञ कथित: परम सामायिक धर्म
नाश करता है, समूल उच्छेद करता है तथा सर्व नाम आदि मंगलों में नमस्कार प्रधान मंगल है, क्योंकि साध्य - मोक्ष का भी यही साधक है, अथवा द्रव्य भाव मंगलों में प्रथम मंगल है | आदि में उसका निर्देश होने से नन्दी सूत्र स्तुति के दो प्रकार बताये गये हैं - एक " प्रमाण रूप" और दूसरा "गुणोत्कीर्तन' रूप" । "नमो" के द्वारा उन दोनों प्रकार की स्तुति होती है और उसका फल बताते हुए आगम ग्रन्थों में उल्लेख है कि
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"जिनेश्वर की स्तुति से जीव ज्ञान, दर्शन, चारित्र और बोधिलाभ प्राप्त करता है और वह ज्ञान आदि से उसी भव में मोक्ष प्राप्त करता है ।" यह महान फलश्रुति ही स्पष्ट करती है कि "नमस्कार" के द्वारा अवश्य सामायिक की प्राप्ति होती हैं ।
१ अरिहंत नमुक्कारो धण्णाणं भवखयं करंताणं । हिययं अणम्मुयंतो वियोत्तिया वारओ होइ ॥
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